
💥क्षेत्रीय ग्रामीणों और किसानों ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन, शोषण, पर्यावरणीय क्षति और अधिकारों की अनदेखी का लगाए आरोप।
💥स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को दे रहे प्राथमिकता।
💥कंपनियों द्वारा वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन।
💥खदानों में की जा रही तेज ब्लास्टिंग से मकान की दीवारों में पड़ रही दरारें।
तहतक न्यूज/घरघोड़ा।
रायगढ़ जिले के रायकेरा और तिलाईपाली गांवों के सैकड़ों ग्रामवासी एसडीएम कार्यालय घरघोड़ा पहुँचे और एनटीपीसी व वीपीआर कंपनियों के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई और कंपनियों के तानाशाही पूर्ण कार्यप्रणाली के विरोध में ज्ञापन सौंपा।


आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ये दोनों कंपनियाँ स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को प्राथमिकता दे रही हैं। यही नहीं, सभी ठेके और श्रमिक कार्यों में बाहरी ठेकेदारों को अवसर दिया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है।बेरोजगारी बढ़ रही है। ज्ञापन में यह भी बताया गया कि कंपनियों द्वारा बड़े पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और खदानों में किये जा रहे तेज विस्फोट से उनके मकान के दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं, ऐसे में भय व दहशत के साये में जीवन बिता रहे हैं।
ग्रामीणों ने कंपनियों पर यह भी आरोप लगाया कि वे किसी भी ग्रामवासी से संवाद नहीं करतीं और न ही उनकी समस्याओं पर ध्यान देती हैं। विरोध करने पर बाउंसर और गुंडों से डराने की कोशिश की जाती है तथा फर्जी मुकदमे दर्ज कर घरघोड़ा वासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। पर्यावरणीय प्रदूषण भी एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। ज्ञापन के अनुसार, कंपनियों की लापरवाही के चलते वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण तेजी से फैल रहा है, जिससे घरघोड़ा क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, वहीं जल-जंगल-जमीन जैसे संसाधनों का दोहन कर कंपनियाँ भरपूर लाभ कमा रही हैं, लेकिन क्षेत्र में कोई सामाजिक या बुनियादी विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बहरहाल, ग्रामीणों के ज्ञापन पर एसडीएम ने निष्पक्ष जाँच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है, वहीं घरघोड़ा के लोगों ने बताया कि अगर प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
सवाल उठता है कि, एक तरफ जहाँ छत्तीसगढ़ शासन जन कल्याण के मुद्दों को लेकर बेहद गंभीर है और “सुशासन तिहार” जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित कर आम जनता के समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर समस्याओं को लेकर जनता को सामूहिक रूप से सड़क पर उतरने की जहमत क्यों उठानी पड़ रही है?