
💥अडानी की काली कारस्तानी, बन गयी घर-घर की जुबानी।
💥100 हेक्टेयर में फैला जंगल दो दिन में हो गया गायब।
💥पेशा कानून, वन एवं पर्यावरण नियम और एनजीटी के नियमों की उड़ा दी गयीं धज्जियाँ।
💥दो दर्जन कांग्रेसी विधायकों के साथ मौके पर पहुँचे थे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल।
💥अडानी की बढ़ी मुश्किलें, मामले को राष्ट्रीय स्तर पर रखने का दावा।
तहतक न्यूज/मुड़ागांव-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
बिजिनेसमैन को सपने में भी हरे-हरे नोट दिखायी देते हैं, यही वजह है कि वे हरे-हरे पत्तों को भी हरे नोट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, चाहे इसके लिए कुछ भी करनी पड़े। यही हाल अडानी एंड कंपनी का है। देश के सबसे बड़े रईसों में गिना जाने वाला अडानी संतुष्ट नहीं है, धन कमाने की होड़ में पेड़-पौधे जैसे जीवनदायिनी पर्यावरण को भी बर्बाद करने पर आमादा है। बीते दिनों तमनार के मुड़ागांव में कोयला खनन के लिए तकरीबन 100 हेक्टेयर जमीन में फैले पूरे जंगल को तबाह कर दिया।

बताया जा रहा है कि जिस जंगल की कटाई हुई है वह पेशा कानून के विपरीत है, यह एनजीटी के नियमों, वन एवं पर्यावरण नियमों को ताक पर रख कर आनन-फानन में पेड़ों का सफाया किया गया है। मुड़ागांव में आंदोलनरत ग्रामीण आदिवासियों के बीच पहुँचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का दावा करते हुए कहा है, कि हम इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में उठाएंगे, और 7 जुलाई को खड़गे जी रायपुर आ रहे हैं, इस पर आप सभी आमंत्रित हैं। आप लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल 7 तारीख को रायपुर आये, हम उन्हें खड़गे जी से मिलवाने की व्यवस्था करेंगे, ताकि बात राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे।

पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि बिना ग्राम सभा के, वन विभाग और जिला प्रशासन के संलिप्तता में अदानी के लोगों ने पूरा जंगल साफ कर दिया। बरसात में वैसे भी जंगल में प्रवेश निषेध होता है कोई भी गांव के लोग एक टहनी भी काट दे, तो उसके खिलाफ जुर्म दर्ज हो जाता है ऐसे में अपराध तब और भी बड़ा हो जाता है जब सरकार खुद ही जंगल साफ करने में लग जाए। 26 व 27 जून को मुड़ागांव में ठीक इसी प्रकार की घटना हुई है। लगातार जंगल काटने का काम हुआ तो उसके खिलाफ में पूरे गांव ब्लॉक और जिले के लोग खड़े हुए हैं और प्रदेश के लगभग दो दर्जन से अधिक विधायक, पूर्व विधायक आकर गांव वालों का समर्थन कर रहे हैं। जो जंगल कटाई हुई है वह सब गलत हुआ है। आगे उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अभी तक चुप हैं। जबकि वह इस लोकसभा से चार बार सांसद रहे हैं, अभी वह मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। आदिवासियों के द्वारा जो संरक्षित वन है, इस पर हमारी सरकार के द्वारा व्यक्तिगत व सामुदायिक पट्टे दिए गए। सामुदायिक पट्टे होने के बावजूद कटाई की गई। यह जंगल गांव के लोगों द्वारा सुरक्षित और संवर्धित जंगल है, बिना गांव वाले के अनुमति के बगैर यह जिस प्रकार कटाई की गई है नियम विपरीत है। विष्णु देव साय से हम पूछना चाहेंगे कि इस मामले में जिला प्रशासन के लोग, पुलिस प्रशासन के लोग, वन विभाग के लोगों की जो संलिप्तता रही है और जो अडानी के गुंडे आये थे, आकर यहां कटाई किये और उनके इशारे पर यहां के जनप्रतिनिधि सरपंच, विधायक विरोध करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहे हैं?


फिलहाल, उजड़ते मुड़ागांव की हालत देख स्वर्गीय मुकेश जी का वो दर्द भरा गाना – “एक वो भी दीवाली थी, एक ये भी दीवाली है। उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है।” जेहन में बार-बार उभर कर सामने आ रहा है।
