
तहतक न्यूज/रायगढ़। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाने वाला, जो अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनहित में आवाज उठाता है आज उसी के ऊपर प्राण घातक हमला का होना जिले के लचर शासन व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रहा है। बीते सोमवार की रात पत्रकार सत्यजीत घोष के ऊपर हुए कातिलाना हमले से जहाँ पत्रकार बिरादरी में आक्रोश का माहौल बना हुआ है तो वहीं शहर का प्रत्येक नागरिक डरा सहमा है। गुंडे मवाली कब किसके साथ क्या अनहोनी कर दें कोई भरोसा नहीं। अपराधियों में कानून और पुलिस का खौफ जरा भी नजर नहीं आ रहा। जिसे देखो वही कानून को अपने हाथ में ले कर मनमानी करने पर तुला हुआ है।
आपको बता दें कि सीजी नाऊ डिजिटल मिडिया के संचालक सत्यजीत घोष पर सोमवार की रात साढ़े दस बजे घर जाते समय स्टेशन चौक के पास अज्ञात लोगों द्वारा रॉड से हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया गया था।
कल मंगलवार की शाम उपरोक्त घटना की निष्पक्ष जाँच एवं पत्रकार सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाये जाने की मांग को लेकर शहर के पत्रकारों का एक दल पुलिस अधीक्षक रायगढ़ से मुलाकात कर अपनी बात रखी जिसमें एसपी दिव्यांग पटेल ने बताया कि दो आरोपी पकड़े गये हैं, कड़ी पूछताछ में जो बातें सामने आयीं हैं उसके अनुसार पुरानी रंजिश के चलते उन्होंने सत्यजीत घोष पर हमला किया है बाकि पुलिस इस मामले से जुड़े उन सभी पहलुओं की भी निष्पक्षता से जाँच करेगी जो उनके संज्ञान में पत्रकारों द्वारा लाया गया है।
इधर जिला चिकित्सालय में भर्ती गंभीर रूप से जख्मी सत्यजीत का हालचाल जानने पहुँचे खरसिया विधायक एवं पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने घटना की घोर निंदा करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की बखियाँ उधड़ना गंभीर चिंता का विषय है। विष्णुदेव साय की सरकार में कानून व्यवस्था की दिन-प्रतिदिन धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के सजग प्रहरी ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता का तो भगवान ही मालिक है। कांग्रेस जब छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाले थी तो कम से कम जनता चैन की साँस लेते हुए, जानमाल की सुरक्षा के लिए फिक्रमंद और दहशत जदा नहीं थी, लेकिन भाजपा के सत्ता में आते ही बलौदा बाजार जैसे कांड ने असलियत जाहिर कर दी है कि हालात अब किस तरह के बन रहे हैं।
इस प्रकार मौजूदा हालातों को देखते हुए विपक्ष को जहाँ कटाक्ष करने का मौका मिल गया है तो वहीं भाजपाइयों को पीड़ित पत्रकार के लिए सहानुभूति के दो शब्द नहीं मिल रहे हैं। बहरहाल पत्रकार बिरादरी में आक्रोश व्याप्त है और नागरिकों में दहशत का माहौल है।पुलिस निष्पक्ष जाँच का आश्वासन दे मामले की सूक्ष्मता से जाँच कर रही है। अब देखना यह है कि कानून के लम्बे हाथ असली गुनाहगार के गिरेबान तक पहुँच कर पीड़ित पत्रकार को कब तक इंसाफ दिला पाते हैं।