रायगढ़। औद्योगिक नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाता, कला व संस्कृति का धनी रायगढ़ जहाँ लाख नहीं, करोड़ नहीं, अरबपतियों के कारोबार चल रहे हैं वहाँ नौनीहालों की अनदेखी समझ से परे है।
शहर में लगभग एक सौ साठ आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं जिसमें 95% आंगनवाड़ी केंद्र किराये के मकानों में चल रहे हैं बाकि शासकीय भवनों में हैं। शासकीय भवनों में पाँच भवन जर्जर स्थिति में हैं। रायगढ़ शहर के संजय नगर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र का भवन इतना खराब हो चुका है कि छत का प्लास्टर गिरने लगा है ऐसी हालत में छोटेछोटे बच्चों को वहाँ कैसे रखा जा सकता है!
आँबा कार्यकर्त्ता सहायिका संघ की अध्यक्षा अनीता नायक ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि निगम द्वारा जमीन और भवन की स्वीकृति हुई थी नक्शा खसरा भी जमा हो गया है परन्तु आज तक नहीं बन पाया। भवन और पर्याप्त जगह के अभाव में बच्चे व हितग्राही शासन की योजनाओं तथा कार्यक्रमों से वंचित रह जाते हैं।
सवाल उठता है कि रायगढ़ शहर के आंगनवाड़ी केंद्र आखिर कबतक किराये के मकानों में संचालित होते रहेंगे?
जो कुछ गिनती के भवन हैं वह भी जर्जर हालत में हैं इनका मरम्मत क्यों नहीं किया जा रहा है? एक तरफ जहाँ छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों और महिलाओं के प्रति काफी संवेदनशील है तो वहीं दूसरी तरफ सम्बंधित विभाग और नेता गण चुप्पी साधे तटस्थ नजर आ रहे हैं।
किराये के घरों में चल रहे शहरी आंगनवाड़ी केंद्र
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