
तहतक न्यूज/लैलूंगा-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और सत्ता संरक्षण में प्रशासनिक मनमानी के आरोप की तस्वीर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार राज्य के जनसंपर्क संचालनालय के एक वरिष्ठ अधिकारी पर पत्रकार से मारपीट करने और बाद में झूठी एफआईआर दर्ज कराने का गंभीर आरोप लगा है।
इस घटना के विरोध में मीडिया सम्मान परिवार लैलूंगा के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार लैलूंगा के माध्यम से सौंपा है, जिसमें दोषी अधिकारियों पर निष्पक्ष जांच और दंडात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।

ज्ञात हो कि 7 अक्टूबर 2025 को “बुलंद छत्तीसगढ़” समाचार पत्र में “जनसंपर्क विभाग का अमर सपूत” शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ था, जिसमें विभाग के अपर संचालक संजीव तिवारी के दो दशकों से स्थानांतरण न होने का उल्लेख किया गया था।

इसके अगले ही दिन जब अखबार के प्रतिनिधि अभय शाह संवाद कार्यालय पहुंचे, तो श्री तिवारी ने कथित रूप से उनसे अभद्र व्यवहार किया और धमकाया।
9 अक्टूबर को जब अभय शाह अपने सहयोगियों के साथ पुनः बातचीत के उद्देश्य से वहां पहुंचे, तब श्री तिवारी ने पहले गले से पकड़कर धक्का दिया और बाद में जानलेवा हमला किया। वीडियो में पूरी घटना स्पष्ट रूप से दर्ज है, जिसे डिजिटल साक्ष्य की दृष्टि से प्रमाणिक बताया गया है।
घटना के बाद श्री तिवारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पुलिस से मिलकर चार अज्ञात लोगों पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने देर रात 1:37 बजे “बुलंद छत्तीसगढ़” के संपादक मनोज पांडे के घर में बिना अनुमति प्रवेश किया, गेट तोड़ा और महिला पुलिसकर्मी की अनुपस्थिति में तलाशी ली।
ज्ञापन में इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन बताया गया है, जिसमें गिरफ्तारी और तलाशी के दौरान पारदर्शिता व मानवाधिकार सुरक्षा के नियमों का पालन अनिवार्य है।
बता दें कि इस ज्ञापन में पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट के दो प्रमुख फैसलों- Arnesh Kumar vs. State of Bihar (2014) और
D.K. Basu vs. State of West Bengal (1997) का हवाला देते हुए कहा है कि पुलिस की कार्रवाई इन दोनों निर्णयों की अवहेलना है।
प्रदेश में पत्रकारों के साथ हो रही इस प्रकार की अवांछनीय घटनाओं से जहाँ आम जनता के मन में भय व दहशत का माहौल है, वहीं यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जहाँ पत्रकार सुरक्षित नहीं, वहाँ आम जनता कितनी सुरक्षित और शांति से रह पायेगी? हकीकत की तहकीकात में तहतक जा कर देखा जाय तो जो सच्चाई सामने आती है वो ये है कि पत्रकार महिमा-मंडित वो कथित चौथा स्तम्भ है जिसकी तारीफ सिर्फ लच्छेदार भाषणों और काले अक्षर की किताबों तक सीमित है।
