
💥कैसा है ये प्यार ? जो अब रिश्ते-नातों को भी नहीं पहचानता।
💥पहले सास और दामाद फिर समधी और समधन की लव स्टोरी, साथ जियेंगे साथ मरेंगे।
💥कहाँ जा रहा हमारा आधुनिक समाज?
तहतक न्यूज /बदायूं।
रिश्ते की मर्यादा को कलंकित करती एक और शर्मनाक घटना की खबर यूपी के ही बदायूं से आ रही है। एक महिला का अपनी बेटी के ससुर से ही प्यार हो गया और दोनों फरार हो गये। पति और बेटे का आरोप है कि महिला लंबे समय से समधी को घर बुला कर अवैध सम्बन्ध बना रही थी और अब नगदी व जेवर लेकर दोनों कार से फरार हो गये हैं।

अलीगढ़ के सास-दामाद के अंधे प्यार की कहानी अभी खत्म नहीं हुई कि अब समधी-समधन के प्यार की शर्मनाक स्टोरी शुरू हो गयी है। जानकारी के अनुसार बदायूं की रहने वाली ममता नाम की महिला का पति पेशे से ट्रक ड्राइवर है, जोकि लंबे रूट का ट्रक चलाने का कार्य करता है और माह में एक-दो बार ही घर आ पाता है। चार संतानों में बड़ी बेटी का तीन वर्ष पहले विवाह हो चुका है। पैसों की कमी नहीं थी जब भी जरुरत पड़ती थी पैसे भेज दिया करता था परन्तु वह अपनी पत्नी को बहुत कम समय दे पाता था यही वजह रही होगी कि ममता लोक-लाज की परवाह न करते हुए अपनी ही बेटी के ससुर यानि समधी शैलेन्द्र को दिल दे बैठी। पति की लगातार अनुपस्थिति में शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित होते चले गये। हवस की आग इतनी तेज हो गयी कि अपने परिवार और समाज की चिंता न करते हुए दोनों जेवर और नगदी लेकर फरार हो गये।

बात करें शर्मसार कर देने वाली इस घटना की तो
अलीगढ़ के सास और दामाद की लव स्टोरी ने जहाँ हर किसी को व्यथित और स्तब्ध कर दिया है तो वहीं बदायूं के समधी-समधन का यह कलंकित कारनामा ने लोगों को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि क्या सचमुच घोर कलयुग और उसकी समाप्ति का समय आ गया है? प्राणी जगत में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है किन्तु आधुनिक सभ्यता व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का राग अलापने वाला यह इंसान रिश्ते-नातों की मर्यादा भूल पशुता का आचरण अपना रहा है। भारतीय प्राचीन संस्कृति, परंपरा, रीतिरीवाज व संस्कारों की अवहेलना तथा पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण ने मानव को दानव की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है।

अलीगढ़ और बदायूं के इस मामले ने हर किसी को चौंका दिया है। लोग सोचने पर मजबूर हो गये हैं, मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हमारे समाज को हो क्या गया है? शादीशुदा लोग अग्नि के सात फेरे और सात वचन दे कर सात जन्मों का बंधन तोड़ने पर क्यों आमादा हैं? ये कैसा प्यार है जिसमें स्नेह नहीं,पवित्रता नहीं, शीतलता नहीं, समर्पण नहीं ? क्या शरीर की भूख, हवस या कामवासना ही प्यार है? समाज को अनुशासित रखने वाला कानून भी इस कथित प्यार के आगे लाचार क्यों दिखायी दे रहा है? धन्य है इस प्यार को पाने के लिए लोग किसी भी हद को पार करने में जरा भी शर्मिंदगी महसूस नहीं कर रहे हैं जबकि इसका दुष्परिणाम सभी को पता है।