
रायगढ़। ” जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर यातायात पुलिस जितनी गंभीर और मुस्तैद नजर आ रही है, परिणाम उतना सार्थक दिखाई नहीं दे रहा है। हादसों और मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है ” ये हम नहीं यहाँ की तस्वीरें बयां कर रही हैं।
रायगढ़-घरघोड़ा मुख्य मार्ग में पूँजीपथरा थाना क्षेत्र को औद्योगिक इकाइयों का गढ़ कहें तो कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगी। छोटे बड़े दर्जनों उद्योग आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं जहाँ सैकड़ों भारी वाहनों की आवाजाही निरंतर होती रहती है। क्षेत्र के सभी गाँव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क द्वारा मुख्य मार्ग से जुड़े हैं। इन सड़कों की क्षमता 12 टन तक की है किन्तु वरद हस्त प्राप्त मल्टीएक्सल ट्रकों द्वारा 12-15 तो क्या 40 से 45 टन माल बेरोकटोक ढूलाई हो रही है जिससे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो खराब हो चुके सड़कों पर चलना उनके लिए बड़ा जोखिम भरा हो गया है। आये दिन कोई न कोई हादसे का शिकार होते रहते हैं। मरम्मत के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा। अति हो जाने पर लोग जनदर्शन में फरियाद, धरना प्रदर्शन और चक्काजाम जैसे आंदोलन करते रहते हैं परन्तु नतीजा वही ढाक के तीन पात। आश्वासनों का झुनझुना थमा दिया जाता है। बीते विधानसभा चुनाव के समय गेरवानी में आसपास के ग्राम वासियों द्वारा आंदोलन कर प्रशासन को अवगत कराया गया था। प्रशासन, उद्योग प्रतिनिधियों और आम जनता के बीच त्रिपक्षीय बैठक में मरम्मत हेतु कंपनियों द्वारा खर्च वहन करने की बात तय हुई थी किन्तु आज पर्यंत कोई पहल नहीं हुई।
वास्तव में तहतक जाने पर जो सच्चाई सामने आ रही है उससे तो यही लगता है कि जनता के सवालों के कटघरे में सम्बंधित विभाग और औद्योगिक घराने जहाँ खामोश खड़े नजर आ रहे हैं तो वहीं जनता मायूसी और लाचारी में जान हथेली पर लेकर चलने को मजबूर है। दुपहियों पर हेलमेट और मॉडिफाई साइलेंसर को लेकर धुँवाधार कार्यवाही करने वाली पुलिस अगर ओवरलोड और तेज रफ्तार भारी वाहनों पर भी कार्यवाही करे तो काफी हद तक हादसों पर काबू पाया जा सकता है।