
💥भूखे रह कर काम करते मजदूरों को 24 घंटे बाद मिलता है खाना।
💥8 घंटे की जगह 12 घंटे लेते हैं काम और मिलता है 400 रु. रोजी।
💥देते हैं मात्र 500 रु.खुराकी, नहीं देते पूरा वेतन।
💥कंपनी के दबंग लोग करते हैं गाली-गलौच, देते हैं धमकियाँ।
तहतक न्यूज/रायगढ़।
जिले के औद्योगिक क्षेत्र पूँजीपथरा में दर्जनों उद्योग स्थापित हैं जहाँ हजारों की संख्या में मजदूर कार्यरत हैं और इन मजदूरों की बदौलत ही उद्योग फल फूल रहे हैं किन्तु कई उद्योग ऐसे भी हैं जहाँ मजदूर शोषण के शिकार हो रहे हैं इसकी बानगी रायगढ़ कलेक्टरेट में देखने को मिली।
गेरवानी स्थित चन्द्रहासिनी इस्पात के डेढ़ दर्जन से अधिक मजदूरों ने अपने ऊपर हुए अत्याचार और शोषण की शिकायत लेकर जिला कलेक्टर से न्याय की गुहार लगायी। उपस्थित मजदूरों में अच्छे खान ने बताया कि वे ठेकेदार लवलेश उपाध्याय के माध्यम से आये थे। लवलेश पिछले पाँच सालों से यहाँ लेबर सप्लाई का काम करता है। बीते 24 दिसंबर से कंपनी ने उसे बाहर कर दिया है और हमें कंपनी के तरफ से काम करने को कह कर जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है। एक और मजदूर आदेश कुमार ने बताया कि हम लोग चार दिन से बिना खाये यहाँ आये हैं, 24 घंटे में एक बार खाना मिलता है, पैसा के लिए बोले तो पूरा पैसा भी नहीं देते 500 रु.दे दिया तो इतना में क्या होने वाला है आगे उसने बताया कि हम लोग जब ड्यूटी करके आये थे तो कंपनी के आदमी रात को आये और धमकी दे रहे थे बोले डियूटी चलो नहीं चलोगे तो रूम से बाहर निकलो अब रात को आदमी कहाँ जायेगा?

इसी तरह कुछ और लोगों ने बताया कि उनसे 400 रु. रोजी के नाम पर आठ घंटे की जगह बारह घंटे काम लिया जाता है और पूरा पैसा भी नहीं देते हैं। रे, बे से बदतमीजी से बात करते हैं और कुछ कहने पर गाली-गलौच करते हैं। हमारे और भी साथी हैं जिनको कंपनी के दबंग लोग रोक रखे हैं। हमारी माँग है कि हमारे कमाए पैसे मिल जायँ हम लोग घर चले जायेंगे, कंपनी में और काम नहीं करेंगे।

आपको बता दें कि चन्द्रहासिनी कंपनी से आये उक्त मजदूरों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए श्रमायुक्त ने त्वरित कार्यवाही करते हुए संबंधित ठेकेदार और कंपनी प्रबंधन के बीच वार्ता कर मजदूरों को उनका हक दिला मामले का पटाक्षेप किया।
कंपनी प्रबंधन और ठेकेदार के बीच हुए विवाद का खामियाजा भुगतते मजदूरों के इस घटना की तह तक जा कर अवलोकन करें तो हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इस क्षेत्र में चन्द्रहासिनी इस्पात जैसे कंपनियों में ठेकेदारी प्रथा चल रही है। लेबर सप्लायर से मजदूर लेकर कम मजदूरी देकर जोखिम भरा काम ठेके पर करवाया जाता है। कंपनी अपने कार्य को ठेके पर देकर औद्योगिक मजदूर नीति-नियमों के पालन के झमेले से मुक्त चैन की वंशी बजा रही होती है और ठेकेदार कम मजदूरी देकर आठ की बजाय बारह घंटे काम करवाता है। गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी और महँगाई की मार झेल रहा मजदूर बारह तो क्या पंद्रह घंटे भी काम करने को मजबूर है। यही वजह है कि कम्पनियाँ स्थानीय लोगों की बजाय दूसरे राज्य के कामगारों को रखना ज्यादा पसंद करती हैं क्योंकि कमजोर और गरीब इंसान वह भी दूसरे राज्य से आया हुआ विरोध नहीं कर पाता। यह तो चन्द्रहासिनी इस्पात का किस्मत खराब था जोकि बिहार और इलाहाबाद के इन बहादुरों ने मजदूरों के ऊपर हो रहे अत्याचारों का भांडा फोड़ दिया।