
तहतक न्यूज/रायगढ़।
इक्कीसवीं सदी का मानव समाज आज विज्ञान की दुनिया में कितना आगे निकल चुका है बताने की आवश्यकता नहीं है, शिक्षा भी समाज के अन्तिम छोर के व्यक्ति तक लगभग पहुँच गया है, लेकिन इसी समाज का कुछ हिस्सा अभी भी अंध विश्वास के मायाजाल में फँसा हुआ है और ढोंगियों, पाखंडियों के बहकावे में आकर ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिसका खामियाजा उन्हें जीवन भर भुगतना पड़ता है। ऐसे ही एक घटना में एक बीमार नाबालिग दुष्कर्म की शिकार हो गयी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के विकासखंड तमनार में एक बीमार नाबालिग के साथ बैगा ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि 14 वर्षीय नाबालिग की तबीयत खराब होने पर परिजन ने डॉक्टर को दिखाने के बजाय झाड़फूँक कराने के लिए गोढ़ी गांव में रहने वाले त्रिभुवन अगरिया नामक बैगा से संपर्क किया। समस्या जानने के बाद बैगा ने परिवार को पूजापाठ करने की सलाह दी थी।
बीते रविवार की शाम त्रिभुवन अगरिया पीड़िता के घर पहुंचा और पूजा-पाठ करने लगा। इस दौरान उसने पत्ते के दो दोने में कुछ पूजा सामग्री रखी और नाबालिग को सौंपते हुए कहा कि इसे घर से दूर आमाबोराई ले जाकर अलग-अलग स्थानों पर रख आना। उसने परिजनों को घर पर रुकने को कहा और खुद नाबालिग के साथ बाहर चला गया। उधर काफी देर तक जब नाबालिग घर नहीं लौटी, तब परिजन उसकी खोज में निकल पड़े। कुछ दूर जाने पर उन्हें बैगा त्रिभुवन अगरिया संदिग्ध हालत में नजर आया।परिजनों को देख बैगा मौके से भाग निकला। लड़की जब घर आयी, तो उसने रोते हुए पूरी घटना की जानकारी दी। हालाँकि शिकायत और पीड़िता के बयान पर तमनार पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्त में ले लिया है।
वर्तमान समय में घट रही ऐसी शर्मनाक घटनाएँ जहाँ पूरे समाज को कलंकित कर रही हैं, वहीं महिलाओं की सुरक्षा व अधिकार के लिए बनाये गये कठोर कानून कहीं न कहीं लचीले साबित हो रहे हैं। बात तह तक की हकीकत की करें तो आधुनिक सभ्यता के नाम पर नैतिकता को ताक में रख दिया गया है और अश्लीलतापूर्ण पहनावे को छूट दिया जा रहा है। कोई टोक नहीं सकता क्योंकि इस पर बहस छिड़ जाती है, कुतर्क होने लगते हैं। इन सब में आधुनिक फिल्मों का योगदान सबसे आगे है। एक्शन, थ्रील, रोमांस, नशा और अंगप्रदर्शन यही फिल्मों के मसाले होते हैं, ऐसे में वासना का भूत छत पर नंगा नहीं नाचेगा तो जायेगा कहाँ? यही कारण है कि कुछ लोग कानून की सजा का परवाह न करते हुए अपनी मर्यादाओं की सीमा लाँघ रहे हैं। हमारे समाज के लिए यह बहुत ही खतरनाक, लज्जाजनक और गंभीर चिंता का विषय बन गया है। सवाल उठता है कि ऐसी घिनौनी घटनाएं आखिर कब घटती रहेंगीं?