तहतक न्यूज/रायगढ़।
ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों में चिकित्सा में सीमित परीक्षण और अत्यावश्यक दवाओं की जरूरत को तत्काल पूरा करने के उद्देश्य से ड्रोन तकनीक का प्रयोग शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्टेडियम, रायगढ़ में किया गया।
इसके तहत ड्रोन के माध्यम से तमनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए आवश्यक दवाईयां भेजी जो शासकीय कन्या स्कूल ग्राउंड में उतारा गया। फिर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तमनार से ब्लड सेम्पल भेजा गया जो सफलता पूर्वक अपने गंतव्य रायगढ़ तक पहुंचा। इस पूरे प्रक्रिया में 15 से 18 मिनट लगे।
बताया जा रहा है कि हेल्थ केयर ड्रोन डिलीवरी नेटवर्क का परीक्षण, पहाड़ी और दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और आपातकालीन स्थिति में तेजी लाने के उद्देश्य से किया गया। इस ड्रोन नेटवर्क की सहायता से ब्लड सैंपल व आवश्यक दवाइयाँ उन दुर्गम इलाकों में समय पर पहुंचाई जा सकेंगी जहाँ सड़क या आवागमन की समस्या हो। अब सवाल उठता है कि ये ड्रोन उतरेंगे कहाँ पर ?
ड्रोन तो वहीं उतरेगा न जहाँ पर डॉक्टर और अस्पताल होंगे जबकि दूरस्थ क्षेत्रों की सबसे बड़ी समस्या तो मरीज को अस्पताल और डॉक्टर तक पहुँचाने की है। जब मरीज डॉक्टर के पास पहुंचेगा जाँच कराएगा तभी तो डॉक्टर ब्लड सेम्पल और जरुरी दवा बता कर ड्रोन से मंगाएगा । व्यवस्था तो मरीज को डॉक्टर के पास या डॉक्टर को मरीज के पास भेजने की होनी चाहिए उसके बाद ही यह ड्रोन नेटवर्क काम शुरू कर पायेगा।
तह तक की बात करें तो रायगढ़ जिला मुख्यालय से कोसों दूर लैलूंगा और धरमजयगढ़ विधानसभा में कई ऐसे दुर्गम इलाके हैं, जहाँ सड़क के नाम पर केवल पगडंडी होती है। यहाँ आज भी मरीजों को खाट में बिठा कर कंधों से उठा कर मुख्य सड़क तक लाया जाता है तब कहीं जाकर एम्बुलेंस या अन्य वाहन से अस्पताल पहुँचाया जाता है लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। ऐसे में डिलीवरी ड्रोन का यहाँ कोई औचित्य नजर नहीं आता। पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ कराना तथा आपातकालीन स्थिति में तेजी लाना हो तो ड्रोन नेटवर्क के साथ-साथ पहुँच मार्गों की व्यवस्था करना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।