
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
शरद ऋतु के आते ही जब वसुंधरा हरियाली की आँचल ओढ़े रंग-बिरंगे पुष्पों की मधुर सुगंध बिखेरने लगती है तो समुचा वातावरण हर्षोल्लास से भर जाता है और लोग आस्था और भक्ति के सागर में डूब जाते हैं। जगह-जगह पूजा-अर्चना, हवन, अनुष्ठान, कथा, सत्संग इत्यादि होते हैं। इसी क्रम में शहर के कोतरा रोड स्थित प्रसिद्ध श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर में बुधवार की संध्या को एक भव्य सत्संग एवं भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें इंग्लैंड से पधारे श्रीमद्भगवताचार्य अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक डॉ. तिलक चैतन्य शास्त्री महाराज ने अपने अमृतमय वचनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को गीता ज्ञान का संदेश दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमती रीमा केडिया द्वारा श्री राधा-कृष्ण के रस भरे मधुर गीतों एवं भावपूर्ण भजनों के साथ हुई, जिससे पूरा मंदिर प्रांगण भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो उठा। धर्मपुर आश्रम से पधारे श्री 108 महेंद्र जी महाराज ने अपने प्रभावशाली प्रवचन से जीवन में धर्म और सदाचार के महत्व पर प्रकाश डाला।
आकर्षण का केंद्र रहे डॉ. तिलक चैतन्य शास्त्री ने श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का अर्थ एवं उनके जीवन में प्रयोग पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “गीता केवल ही ग्रंथ नहीं बल्कि, जीवन जीने की कला है, जो हमें सत्य, कर्म और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है।” उपस्थित भक्तजन उनके मधुर प्रवचन में मंत्रमुग्ध होकर ज्ञान, प्रेम और अध्यात्म का रसपान करते रहे।

इस पावन अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने उपस्थित होकर सत्संग एवं भजन संध्या का लाभ उठाया। रायगढ़ के अनेक गणमान्य एवं प्रतिष्ठित नागरिक भी इस आयोजन में सम्मिलित हुए। मंदिर परिसर में भव्य सजावट की गई थी और भक्तजनों के लिए उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित की गई। कार्यक्रम के अंत में सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।

