
तहतक न्यूज/गेरवानी-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
पिछले सरकार के समय जब पूरा प्रदेश खराब सड़कों से हलाकान था तो जनता सड़कों पर उतर कर आये दिन जन-आंदोलन करती थी। नई सरकार आते ही प्रदेश के प्रमुख मार्गों का जीर्णोद्धार किया, किन्तु ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें आज भी मरम्मत की बाट जोह रही हैं और ग्रामीणों को चक्काजाम, धरना व विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इसी क्रम में ग्राम पंचायत लाखा व चिराईपानी के निवासी चिराईपानी से गेरवानी पहुँच मार्ग की जर्जर अवस्था के मरम्मत को लेकर कल बुधवार सुबह दस बजे से आर्थिक नाकेबंदी कर सड़क पर बैठे थे। आज देर शाम जिला प्रशासन, कंपनी प्रबंधकों और जन-प्रतिनिधियों के बीच अहम् बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि कंपनियों द्वारा 01 नवम्बर से बदहाल सड़क का गुणवत्तापूर्ण मरम्मत किया जायेगा। ग्रामवासियों ने जिला प्रशासन पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर से झूठे और दगाबाज कंपनियों को मौका देकर आंदोलन समाप्त कर दिया।

बता दें कि ग्रामीणों की इस ज्वलंत समस्या को जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने गंभीरता से लेते हुए नव-पदस्थ जिला पंचायत सीईओ अभिजीत बबन पठारे को मामले के निराकरण के लिए निर्देशित किया। श्री पठारे ने तत्काल कंपनी प्रबंधकों और ग्राम सरपंच सहित क्षेत्र के सक्रिय जन-प्रतिनिधियों की बैठक ली, जिसमें जन-प्रतिनिधियों ने ग्राम वासियों को हो रही परेशानियों और वादा खिलाफी करने वाले श्री ओम रुपेश, वजरान इंडस्ट्रीज, महालक्ष्मी कास्टिंग, रीयल वायर तथा सुनील इस्पात के अव्यवहारिक रवैये से अवगत कराया। अंत में कंपनी प्रबंधकों को झुकना पड़ा और आगामी 01 नवम्बर से उपरोक्त सभी कम्पनियाँ मिलकर खराब हो चुके सड़क का ठोस और गुणवत्तापूर्ण मरम्मत करवाएंगे।
क्षेत्र के दबंग और फायर ब्रांड बीजेपी नेता अशोक अग्रवाल ने अपने चिर-परिचित लहजे में क्या कुछ कहा आइये देखें ये वीडियो –
अपनी प्रभावशाली प्रशासनिक क्षमता का बेहतर प्रदर्शन करते हुए श्री पठारे ने रायगढ़ तहसीलदार शिवकुमार डनसेना और जनपद सीईओ सनत नायक को आंदोलनरत ग्रामीणों के पास भेजा। दोनों अधिकारियों ने आक्रोषित महिलाओं और पुरुषों को उक्त निर्णय की जानकारी देते हुए समझाईस दी और धरने पर बैठे ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की गारंटी पर 33 घंटे बाद शाम सात बजे आंदोलन समाप्त किया।
तहसीलदार रायगढ़ शिवकुमार डनसेना ने क्या कुछ कहा आइये देखें इस वीडियो में –
फिलहाल नये अधिकारियों के संतोषजनक आश्वासन पर भोले-भाले ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने एक बार फिर से भरोसा करते हुए अपना आंदोलन खत्म कर सड़क को खोल दिया है और भारी ट्रकों का आवागमन शुरु हो गया है, लेकिन अपनी विश्वसनीयता खो चुके कंपनियों की बातों पर यही सवाल लोगों के जेहन में उठ रहा है कि कहीं ये हमें फिर से गुमराह तो नहीं कर रहे?
