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tahtaknews.com > Blog > छत्तीसगढ़ > लचर शिक्षा व्यवस्था पर बिफरे पूर्व विधायक राठिया… लम्बे समय से डटे बीईओ को हटाने की रखी माँग।

लचर शिक्षा व्यवस्था पर बिफरे पूर्व विधायक राठिया… लम्बे समय से डटे बीईओ को हटाने की रखी माँग।

Pancham Singh Thakur By Pancham Singh Thakur 28 August 2024 7 Min Read
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💥लैलूंगा विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था का हो रखा है बुरा हाल…?

💥लापरवाह अधिकारी और नाकाबिल शिक्षकों की मनमानी का खामियाजा भुगत रहा लैलूंगा..?

💥नशे में धूत्त रहेगा शिक्षक तो क्या सीखेंगे नौनिहाल..?

तहतक न्यूज/बुधवार/28अगस्त 2024/लैलूंगा.
ज्ञान को सबसे बड़ा धन माना गया है। संसार में एक मात्र ज्ञान ही तो है जिसके द्वारा धन-दौलत, हीरे, जवाहरात, जमीन, जायदाद और मान-सम्मान हासिल किया जा सकता है। यही कारण है कि शिक्षा को लेकर आज हर कोई गंभीर है। सरकार इसके लिए करोड़ों-अरबों रूपये खर्च करती है। पूर्व कलेक्टर और वर्तमान मंत्री एवं विधायक ओपी चौधरी शिक्षा के मर्म को अच्छी तरह से समझते हैं तभी तो रायगढ़ जिले को नालंदा परिसर की सौगात दे रहे हैं किन्तु रायगढ़ जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में सबसे पिछड़ा व आदिवासी बाहुल्य लैलूंगा विकासखंड की बात करें तो यह क्षेत्र शिक्षा की दौड़ में सबसे पीछे छूटता चला जा रहा है और अपनी बदनसीबी के आँसू बहाने को मजबूर हो चला है। ये हम नहीं, लैलूंगा विकास खण्ड की बदलहाल शिक्षा व्यवस्था की बदसूरत तस्वीरें बयाँ कर रही हैं। कहीं कुछ स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं तो कहीं शिक्षक शराब पी कर स्कूल आते हैं। कई स्कूलों में ऐसे भी शिक्षक और शिक्षिकायें हैं जिन्हें सामान्य ज्ञान की भी जानकारी नहीं है।राष्ट्रपति, राज्यपाल, शिक्षामंत्री, कलेक्टर यहाँ तक कि वे अपने जिला शिक्षाधिकारी का नाम तक नहीं जानते। अब ऐसे में स्कूली बच्चों के भविष्य का क्या हाल होगा? उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले होनहार ग्रामीण विद्यार्थी क्या कभी नालंदा परिसर पहुँच पाएंगे?
लैलूंगा विकासखंड की लचर व बदहाल शिक्षा व्यवस्था और प्रभारी बी.ई.ओ. की उदासीन रवैये को लेकर पूर्व विधायक एवं लोकप्रिय आदिवासी नेता हृदयराम राठिया ने भाजपा सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है।


उनका कहना है कि अभी कुछ दिन पहले एक शराबी शिक्षक का शराब पीकर स्कूल पहुंचने का मामला सामने आया था जो कि हमारे बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत ही दुर्भाग्य जनक बात है।
छत्तीसगढ़ की जनता ने बहुत भारी बहुमत से भाजपा को जीत दिला कर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का मौका दिया और उससे जनता ने उम्मीद रखी की सरकार बदली है अब भ्रष्ट और अड़ीयल अधिकारियों के ऊपर भी लगाम कसी जाएगी परन्तु यहां तो स्थिति एकदम विपरीत देखने को मिल रहा है अधिकारी कर्मचारी की बात तो छोड़िए एक चतुर्थ वर्ग कर्मचारी जो की सही ढंग से सेवा नहीं दे रहा है, उसके ऊपर भी इनकी छत्रछाया बनी हुई है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों की बर्खास्तगी या कार्रवाई से इनके हाथ कांप रहे हैं सरकार उनके सामने मजबूर एवं लाचार नजर आ रही है।
आगे और विस्तार से बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में विष्णु देव की सरकार दिल्ली से चल रही है। इसी हफ्ते देश के गृह मंत्री राजधानी रायपुर में 3 दिन से डेरा डालकर एक्सरसाइज किया सभी विभागों के मंत्रियों की बैठक लेकर उन्हें कड़ी हिदायत दिए, सोचने वाली बात यह है कि देश के गृह मंत्री तीन-तीन दिनों तक एक राज्य में अगर रुकते हैं तो वहां की स्थिति क्या हो सकती है छत्तीसगढ़ में जब से भाजपा की सरकार बनी है अराजकता की स्थिति से प्रदेश गुजर रहा है। यहां सभी व्यवस्थाएं फेल हैं और खासकर मैं अपने विधानसभा लैलूंगा की बात करता हूं यहां मरीजों को अच्छा इलाज नहीं मिल रहा है मरीजों को तत्काल रायगढ़ रेफर कर दिया जाता है जिससे मरीजों को नाहक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और सभी विभागों में भ्रष्टाचार के भस्मासुर का मुंह फैला हुआ है


सबसे अहम बात तो यहां के स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को लेकर है जहां हमारे नौनिहालों का भविष्य गढ़ा जाता है उनके लिए ना तो शिक्षक है ना तो स्कूल भवन है और अगर शिक्षक हैं भी तो सही ढंग से बच्चों का पढ़ाई लिखाई नहीं हो रहा है शिक्षक ना समय पर स्कूल आते हैं और ना ही अध्यापन कार्य ठीक से संचालित हो रहा है। स्थिति इतनी खराब है कि यहां के स्कूल के शिक्षकों व बच्चों को अपने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर तक का नाम मालूम नहीं है, इससे यहां अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था का स्तर किस हद तक गिर गया है। इसका मुख्य कारण लंबे समय से यहाँ पदस्थ एक प्रभारी बी.ई.ओ.को दो ब्लॉक का प्रभार दे देना है जबकि प्रभारी बी.ई.ओ. रायगढ़ में बैठे-बैठे मलाई खा रहे हैं और यहां नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि प्रभारी बी.ई.ओ. को तत्काल हटाकर यहां सक्षम बी.ई.ओ. भेजा जाए जिससे हमारे बच्चों का भविष्य संवर सके और वह देश के अच्छे नागरिक बन सकें।
पूर्व विधायक द्वारा उठाये गये सवालों की गहराई में देखें तो जो तथ्य निकल कर सामने आ रहे हैं उससे यही प्रतीत होता है कि वास्तव में लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र प्रारम्भ से ही उपेक्षा का शिकार होता आ रहा है। इसका मुख्य कारण है गरीबी, अशिक्षा, जन-जागरूकता की कमी और कुशल नेतृत्व का अभाव। दूसरी बात ये है कि लैलूंगा जिला मुख्यालय रायगढ़ से काफी दूर बीहड़ वन प्रांतों से घिरा है जिसकी वजह से जिले के आला अधिकारियों का दौरा कम होता है, जाहिर है कि जनता को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसे एक विडंबना ही कहेंगे कि लैलूंगा विधानसभा आरक्षित सीट होने के बावजूद भी मूलभूत सुविधाओं और विकास से कोसों दूर है।

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