
तहतक न्यूज/रायगढ़।
प्रदूषण का दानव पूरे देश में हाहाकार मचा रहा है, देश की राजधानी दिल्ली की सरकार ने जहाँ अपने यहाँ प्रदूषण कम करने के लिए 15 साल पुराने वाहनों को पेट्रोल या डीजल नहीं दिये जाने का फैसला लिया है वहीं अन्य प्रदेश पर्यावरण को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।

चर्चा करते हैं छत्तीसगढ़ की, जो विकास की रफ्तार में अन्य राज्यों की तुलना में आगे चल रहा है किन्तु यहाँ पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कोई चिंतित नजर नहीं आ रहा। पर्यावरणीय सुरक्षा के नीति-नियमों को दरकिनार कर न केवल प्रकृति का बेतहाशा दोहन किया जा रहा है, अपितु धन कमाने की होड़ अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारने की कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है।
खनिज सम्पदा से भरपूर रायगढ़ जिले का पर्यावरण इन दिनों सर्वाधिक प्रदूषण की चपेट में है। रायगढ़-घरघोड़ा मुख्यमार्ग में स्थापित उद्योगों की मनमानी से इलाके का वातावरण इतना खराब है कि वेदर रिपोर्ट देखकर आपके होश उड़ जायेंगे। गूगल में जब भी सर्च करके देखें तो एयर क्वालिटी की वैल्यू हमेशा ऑरेंज कलर से पर्पल कलर यानि 110 से 299 तक देखने को मिल रही है। अब ऐसे में स्थानीय लोग कैसे अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं? यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
क्षेत्र में कायम भीषण प्रदूषण की अनदेखी निकट भविष्य में लोगों के जीवन के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता है। विकास कहीं विनाश न बन जाय इसके लिए शासन, प्रशासन और तमाम सामाजिक संगठनों सहित आम जनों को वास्तव में विशेष ध्यान देने की जरुरत है वरना बच्चे से लेकर बूढ़े तक गंभीर बिमारियों के शिकार हो कर काल के गाल में समाने को मजबूर होंगे।