तहतक न्यूज/लैलूंगा।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के विधानसभा लैलूंगा के महिला एवं बाल विकास विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं कि भर्ती प्रक्रियाओं को लेकर हमेशा से ही विवादों रहा है। यहाँ जितनी बार भर्ती की प्रक्रिया तथा नियुक्तियाँ हुई है, हर बार चयन समिति के द्वारा व्यापक पैमाने पर गड़बडियाँ की जाती है। सूत्रों कि मानें तो जिससे जितनी मोटी रकम में सौदा हो जाये उसी का नियुक्ति कर दिया जाता है और फिर उसे कभी लिपिकीय त्रुटि मानकर मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है। जो अभ्यर्थी पात्र नही होते हैं ऐसे अभ्यर्थियों को रूपये के दम पर नियुक्तियाँ देने का कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग लैलूंगा कि बहुत पुरानी परंपरा रही है। पीड़ित महिला अभ्यर्थियों के द्वारा अब तक सैकड़ों बार तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर एवं मंत्री तथा मुख्यमंत्रियों तक को कई बार पीड़ितों के द्वारा लिखित शिकायत किया जा चुका है फिर भी अधिकारियों तथा शासन-प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने से लोगों में महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रति विश्वास उठ चुका है।
लैलूंगा मे़ पदस्थ कर्मचारियों का कहना है कि “यह लैलूंगा है यहाँ नोटों का बोल बाला और सच्चे का मुंह काला” करने का रीवाज बन गया है या यूँ कहा जाय कि यह एक तरह से लैलूंगा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया गया है। वैसे भी पात्र और गरीब महिलाएँ कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर आखिरकार थक हारकर अंदर ही अंदर घुट-घुटकर मन मार लेती हैं।
यहाँ जब कभी भी आंगनबाड़ी कि भर्ती प्रक्रियाएँ प्रारम्भ होती हैं हमेशा ही सिर्फ और सिर्फ नोटों कि वजन वालों का सेटिंग करके नियुक्ति करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। महिला एवं बाल विकास परियोजना लैलूंगा में अधिकांशत: महिला उम्मीदवारों के साथ गलत किया जाता है। अभी हाल ही में लैलूंगा क्षेत्र के लगभग सभी ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी सहायिका एवं कार्यकर्ताओ की भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किया गया हैं । जिसकी नियुक्ति प्रक्रिया में भारी मात्रा में धांधली करने की बात कही जा रही है । वहीं एक अजीबो गरीब मामला प्रकाश में आया है महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कई ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी की सहायिका को कार्यकर्ता के पद पर पद्दोनत किया गया है। जिसमें गंगोत्री राठिया पति सुरेन्द्र राठिया “कार्यकर्ता” केन्द्र ग्राम पंचायत चोरंगा का सहायिका को कार्यकर्ता के रूप में पद्दोन्नति की गई है। वहीं राजकुमारी यादव पिता चमरा राम यादव आंगनबाड़ी केन्द्र बगबुड़ापारा ग्राम पंचायत मोहनपुर को भी सहायिका से कार्यकर्ता के रूप में पद्दोन्नति किया गया है। वहीं कई महिलाओं के साथ भेदभाव पूर्वक व्यवहार करते हुए उन्हें घुमाया जा रहा है और उनके स्थान पर रूपये की लेन देन कर किसी अन्य उम्मीदवार का चयन करने की फिराक में हैं।
मामले की तहतक की बात करें तो लैलूंगा, जिला मुख्यालय से कोसों दूर एक आदिवासी इलाका है जहाँ आला अधिकारियों के दौरे बहुत कम होते हैं यही वजह है कि मातहत अधिकारी बेखौफ हो कर मनमानी पर तूले हुए हैं। इसे एक विडम्बना ही कहेंगे कि क्षेत्र के लोकप्रिय कहे जाने वाले नेता हों या नेत्री खामोशी की चादर ओढ़े चुप्पी साधे हुए हैं।