रायगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में खराब सड़क को लेकर जगह-जगह आंदोलन हो रहे हैं। ग्रामीण तो ग्रामीण अब स्कूली बच्चे भी आर्थिक नाकेबंदी पर उतरने को मजबूर हो गये हैं। दरअसल, बदहाल सड़कों की वजह से स्कूल आने-जाने में बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल बसें समय पर नहीं पहुँचने से जहाँ पढ़ाई का नुकसान हो रहा है तो वहीं नागा भी हो रहा है जिससे बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं खरसिया – धरमजयगढ़ मुख्य मार्ग के बीच एडू के समीप किये जा रहे चक्काजाम की, जहाँ स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। हालात इतने गंभीर हो गये हैं कि आश्वासनों के झुनझुने से जनता अब चुप रहने वाली नहीं है। भाजपा नेत्री रजनी राठिया के अलावा राजेश सिंह मरकाम भी इनके समर्थन में सड़क पर उतर गये हैं। आपको बता दें कि अभी हाल ही में तमनार में आस-पास के कई ग्रामों के निवासी लगातार बहत्तर घंटे से अधिक समय तक नाकेबंदी कर सड़क पर बैठ दिये तब कहीं जाकर मान-मनौवल हुआ और चार दिनों के भीतर सड़क मरम्मत करने की बात तय हुई। सवाल उठता है कि अति आवश्यक सुविधाओं के लिए जनता को न चाहते हुए भी आंदोलन के लिए सड़क पर क्यों उतरना पड़ता है ?
जिस क्षेत्र में कम्पनियाँ लाखों-करोड़ों कमा रही हैं, शासन को भी भरपूर राजस्व की आय हो रही है तो कम से कम सड़कों को मजबूत बनवा देते। आज साइंस टेक्नोलॉजी इतनी तरक्की कर गयी है कि ठेकेदार ईमानदारी से कार्य करें तो सड़कें सालोंसाल खराब नहीं होंगी लेकिन यह एक विडम्बना ही है कि यहाँ की सड़कें एक तरफ बनती जाती हैं तो वहीं दूसरी तरफ उखड़ना शुरू हो जाती हैं। जनता की गाढ़ी कमाई और वाहनों के रोड टैक्स का खजाना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। आखिरकार भुगतना तो जनता को ही है।