💥आँबा कार्यकर्त्ता बहनों पर अतिरिक्त दायित्वों का बोझ
💥चार-चार विभागों का काम, कितना कर पायेगी एक महिला..?
तहतक न्यूज/शुक्रवार/30अगस्त 2024/रायगढ़.
भारतीय मानव समाज में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को विशेष दर्जा प्राप्त है। हर क्षेत्र में महिलाओं को पहले प्राथमिकता दिया जाता है उसके बाद पुरुषों की बारी आती है। हालांकि उनको कभी अबला, कमजोर और भीरू माना जाता था परन्तु आज नारियाँ पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर वर्चस्व कायम कर रही हैं। सहनशीलता के मामले में भी वे कहीं कमतर नहीं होतीं। स्वयं के परिवार की सेवा के साथ-साथ आंगनवाड़ी केंद्रों में नौनीहालों के उचित पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और देखभाल में अहम् भूमिका बखूबी निभा रही हैं। आवश्यकता पड़ने पर शासन-प्रशासन के कई शासकीय कार्यों में अतिरिक्त सेवाएं भी देती आ रही हैं किन्तु इस बार उन्हें एक साथ चार-चार विभागों के जरुरी दायित्व सौंपे गये हैं जिससे वे हलाकान और परेशान हो रहे हैं।
कार्य करने में आ रही दिक्कतों को लेकर छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष श्रीमती अनिता नायक के प्रतिनिधित्व में जिला रायगढ़ के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की बहनों द्वारा रायगढ़ नगर पलिक निगम आयुक्त सुनील कुमार चंद्रवंशी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग लक्ष्मी नारायण कच्छप को एक आवेदन देकर अवगत कराया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिका संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं रायगढ़ जिलाध्यक्ष श्रीमती अनीता नायक ने विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जो बूथ लेवल अधिकारी के रूप में मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य कर रही हैं उनको त्रिस्तरीय पंचायत एवं नगरी निकाय में आरक्षण के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली के पारित निर्णय 04 /03 /2021 के पालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वे का कार्य डोर टू डोर करना है तथा मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण का काम और राष्ट्रीय पोषण माह जो दिनांक 1 सितंबर से 30 सितंबर तक है जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजन कर प्रतिवेदन बनाकर ऑनलाइन एंट्री करना है, इसके अलावा डेंगू सर्वे में भी जाना है स्वास्थ्य विभाग वालों के साथ क्रीमी की गोली भी खिलाना है एवं समय पर आंगनबाड़ी केंद्र खोलने और फोटो शासन तक प्रतिदिन भेजना होता है ।
इस प्रकार एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को एक साथ चार-चार विभाग का काम दिया गया है जिसे सही ढंग से और समय पर पूरा कर पाना एक अकेली महिला के लिए संभव नहीं है। आगे उन्होंने बताया कि कार्य को पूरा करने के लिए हमने सहायक की माँग रखी है जिसमें हमारी समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया गया है। बहरहाल आंबा कार्यकर्ता बहनें अपना कर्तव्य का निर्वाह तो कर ही रही हैं अब यह देखना लाजिमी होगा कि इनकी समस्याओं का निराकरण आखिर कब तक हो पाता है ?