तहतक न्यूज/रायगढ़। औद्योगिक नगरी के रूप में तेजी से आकार लेता जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ में अपना विशेष महत्व रखता है किन्तु यहाँ के आर्थिक विकास का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है उतनी ही रफ्तार से सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। रायगढ़-घरघोड़ा मुख्य मार्ग स्थित इंडस्ट्रियल पार्क पूँजीपथरा क्षेत्र में आये दिन हादसे होते रहते हैं। जब से भारी उद्योगों की स्थापना हुई है तब से आज तक के हुए हादसों का इतिहास खंगाला जाय तो उर्दना से तमनार के बीच सड़क का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा है जो इंसानी लहू से न रंगा हो। कथित विकास की आँधी में वाहनों की बढ़ती रफ्तार जो बली ले रही है उसमें ज्यादातर स्थानीय ग्रामीणों की जानें जा रही हैं। तो आइये पहुँचने की कोशिश करते हैं उन कारणों तक जिसके बारे में कोई ध्यान नहीं देता।
💥गुणवत्ताहीन सड़क :–
यहाँ की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सड़कें ऊपर-नीची और घुमावदार हैं। हलके स्तर के निर्माण सामग्रीयों से निर्मित इस रोड में ओवरलोड मल्टी एक्सल ट्रकों के चलने से डामर जल्दी उखड़ जाते हैं। मरम्मत कार्य में भी ठेकेदार द्वारा लापरवाही बरती जाती है। सही मापदंड और लेवलिंग पर ध्यान नहीं दिया जाता।
💥संकेतक बोर्ड का अभाव :–
रायगढ़-घरघोड़ा मार्ग में कई खतरनाक मोड़ हैं, संकरे पुलिया हैं, गति अवरोधक हैं, चौक-चौराहें हैं लेकिन इनसे सम्बंधित संकेतक बोर्ड कहीं नजर नहीं आते। बाहर से पहली बार आने वाले वाहन चालक यहाँ अक्सर धोखा खा जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
💥खतरनाक मोड़ और टूटी पुलिया :–
केलो डेम और चिराईपानी के बीच पहाड़ किनारे एक खतरनाक मोड़ और उससे लगा एक पुलिया है जिसके दोनों तरफ का रेलिंग टूटा हुआ है, रेलिंग नहीं होने से वाहन चालकों को पुलिया का आभास नहीं होता और सामने से आ रहे वाहन को साइड देते-देते स्वयं नाले में गिर जाते हैं। इसी तरह गेरवानी और तराईमाल के बीच फटहा पुलिया की भी स्थिति बेहद खतरनाक है।
💥नशे में धुत्त रहते हैं ट्रक ड्राइवर :–
ट्रांसपोर्टर एक गाड़ी में दो ड्राइवर रखते हैं जो चौबीस घंटे में पाली बदलते हैं। लगातार चौबीस घंटे की ड्यूटी में बिना नशे के ये नहीं रह पाते और थकान लगते ही शराब या गांजे का सेवन कर लेते हैं। नशा जब सिर चढ़ कर बोलने लगता है तो उनकी गाड़ियाँ भी हवा में बात करने लगती हैं।
वास्तव में सच्चाई की तह तक जाकर देखें तो ऐसे कई अप्रत्यक्ष वस्तु स्थितियाँ हैं जो दुर्घटनाओं के घटने में सहयोगी साबित हो रहे हैं। यातायात और परिवहन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए यातायात पुलिस व परिवहन विभाग को सौंपा गया है किन्तु अक्सर देखा जाता है कि ओवरलोड, ओवरस्पीड, ड्रिंक एन्ड ड्राइव पर कार्यवाही यदा-कदा और तीन सवारी, बिना हेलमेट और मॉडिफाई साइलेंसर पर कार्यवाही रोजाना देखने को मिलती है। ऐसे लगता है जैसे कि यदि दुपहिया सवार सुधर जायें तो देश-दुनिया में दुर्घटना ही नहीं होगा। बहरहाल जरुरत है सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की और यातायात नियमों के पालन की।
नागिन सी लहराती सड़क पर मौत का तांडव… आखिर कबतक ?
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