तहतक न्यूज/रायगढ़ : जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के तमनार विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाला एक ऐसा क्षेत्र है जिसे पूँजीपथरा के नाम से जाना जाता है। पुरातन काल में जिस किसी ने भी इसका नामकरण किया होगा बहुत ही सोच-समझ कर किया होगा क्योंकि अपने नाम के अनुरूप यहाँ पूंजी यानि धन का ऐसा पथरा (पत्थर) है जो किसी पारस पत्थर से कम नहीं है। यहाँ जिसने भी पूंजी लगाया, यहाँ के पत्थर से टकरा कर उसका पूंजी सोना बन गया।
अब आप यह जरुर सोचते होंगे कि पूँजीपथरा क्षेत्र के मूल निवासी बहुत ही सुखी संपन्न पूँजीपति होंगे लेकिन यह शायद आपकी इस दशक की सबसे बड़ी भूल होगी! ये.. हम नहीं कह रहे हैं यहाँ की तस्वीरें बयां कर रही हैं।
तो आइये चलते हैं हकीकत की तहकीकात में उस तहतक, जहाँ हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।
जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तो इस खूबसूरत वनप्रान्त को विकास की मृगतृष्णा में झोंक दिया गया। यहाँ छोटे-बड़े दर्जनों कल-कारखानों का बाजार बिठा दिया गया। स्थानीय ग्राम वासियों ने अपने पुरखों के खून-पसीने से कमाए चल-अचल संपत्तियों को कौड़ियों के दाम, बाहर से आये धन-कुबेरों को सौंप दिए। सोचा था अभावों की जंगली जिंदगी से ऊपर उठ कर इस कथित विकास के दौर में सुख-शांति और स्वस्थ जीवन की लम्बी जिंदगी जियेंगे, मगर…. हुआ ठीक इसके विपरीत। यहाँ का ‘पथरा’ उद्योगपतियों के लिए बन गया पारस का पत्थर और ग्रामीणों के लिए बन गया जी का जंजाल। आज यह इलाका भयंकर प्रदूषण की चपेट में है। लोगों का जीना हराम हो गया है। कीड़े-मकोड़ों की तरह जिंदगी जीने को विवश हैं। जरा सी हवा चली नहीं कि यहाँ का पूरा वातावरण फ्लाई ऐश से ढक जाता है, साँसे लेना मुश्किल हो जाता है। जरा सोचिये! जब रसायन युक्त खतरनाक फ्लाई ऐश जब फेफड़ों में जाता होगा तब उन फेफड़ों की क्या दशा होती होगी? अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। जब शहरों में तापमान 46 डिग्री के पार जा रहा हो तो उद्योगों के आसपास का तापमान..? जाहिर है कि 50 से ऊपर ही होगा। भीषण गर्मी और भयानक प्रदूषण की मार झेल रहे स्थानीय ग्रामीणों के हित के लिए न तो पर्यावरण विभाग कुछ कर रहा है और न ही कोई विधायक, मंत्री या जन-प्रतिनिधि आगे आ रहा है।
“पूँजीपथरा” एक ऐसा पारस पत्थर जो किसी के लिए वरदान! तो किसी के लिए अभिशाप..?
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