तहतक न्यूज/रायगढ़ : कल की एक खबर बड़ी प्रमुखता से प्रकाश में आयी कि रायगढ़ जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी. के. चन्द्रवंशी, चक्रधर नगर थाना टी. आई. प्रशांत राव आहेर एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री रंजना पैकरा के मार्गदर्शन में जिला तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत रायगढ़ जिले के शहरी क्षेत्र चक्रधर नगर में सिग्नल चौक, डिग्री कॉलेज और भगवानपुर सीएमएचओ ऑफिस के पास स्थित पान ठेलों पर कोटपा एक्ट अधिनियम 2003 के तहत सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध का पालन नहीं करने वाले पान ठेलों पर कार्यवाही की गयी। प्रशासनिक टीम ने 12 पान ठेलों पर चालानी कार्यवाही करते हुए 2000 रुपयों की राशि वसूल की और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से तम्बाकू के प्रति बढ़ते शौक व उनके हानिकारक दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जानकारी दी।
अब यहां पर कई सवाल उठते हैं कि क्या साल में एकाध बार इस तरह के दिखावे के आडम्बर से लोग तम्बाकू का सेवन करना छोड़ देंगे? क्या तम्बाकू मिश्रित उत्पाद केवल शहरों में ही बिकते हैं गावों में नहीं ? तम्बाकू ही क्यों शराब, गांजा, अफीम, चरस, भांग व नशे की गोलियाँ (रॉकेट, सनन, मस्ताना, मीनार) नशा नहीं है? वास्तव में हकीकत की तहतक में जाकर अवलोकन करें तो यही प्रतीत होता है कि आम जनता और नियम-कानून के साथ एक खूबसूरत मजाक किया जा रहा है। एक-दो बार दिखावे की कार्यवाही कर जुर्माना वसूल लेने से कुछ नहीं होने वाला। आज नशा इस कदर हावी हो गया है कि समाज में जो भी लड़ाई-झगड़ा, मारपीट, हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध हो रहे हैं उसका मुख्य कारण एकमात्र नशा ही है जिसके आगोश में इंसान आकंठ डूबा हुआ है।
अब जरुरत है किसी एक ऐसे ठोस कार्ययोजना की जिससे आम लोगों के मन में जागरूकता आये,नशे के प्रति नफरत पैदा हो और सबसे बड़ी बात ये है कि जहाँ से इसकी उत्पत्ति हो रही है वहाँ प्रतिबन्ध लगायी जाय।
क्या होगा? साल में एक-दो बार तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम में चालान करने से…?
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