
💥अंधविश्वास के चलते निर्दोष को बनाया जाता है निशाना।
💥जादू-टोना करने के आरोप में पड़ोसी ने किया जानलेवा हमला।
💥चार आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, दो फरार।
तहतक न्यूज/कोतबा-जशपुर, छत्तीसगढ़।
इक्कीसवीं सदी में आज इंसान जहाँ हाईटेक होता जा रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जादू-टोना, बैगा-गुनिया और टोनही जैसा अंधविश्वास अभी भी नाग की तरह कुंडली मारे बैठा है। जादू-टोना को लेकर शक के चलते आये दिन लड़ाई-झगड़े, मारपीट यहाँ तक कि हत्या जैसे जघन्य वारदात की खबरें लगातार देखने-सुनने को मिल रही हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें एक परिवार को बेवजह हमला का सामना करना पड़ा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना जशपुर जिले के कोतबा चौकी क्षेत्र के ग्राम लकरामुड़ा की है, जहाँ
26 जुलाई की शाम करीब 8 बजे बलीचंद्र डहरे ने अपने पड़ोसी ओमप्रकाश पर जादू-टोना का आरोप लगाते हुए गाली-गलौच की तथा अपने बच्चे को टोना करके मार डालने का इल्जाम लगाया और जान से मार देने की धमकी दी। ओमप्रकाश ने विरोध किया तो वह भड़क गया। कुछ देर बाद जब ओम प्रकाश अपने परिवार के साथ घर में खाना खा रहा था, तभी बलीचंद्र अपने परिवार सूरज डहरे, माधुरी डहरे, सदानंद डहरे, शांति बाई डहरे और सुदर्शन डहरे के साथ आ धमका। खाना खा रहे ओम प्रकाश को खींचकर बाहर ले आये और टांगी (कुल्हाड़ी) तथा ईंट से हमला कर दिया। इस हमले में ओम प्रकाश की आँख और सिर के पीछे गंभीर चोटें आईं। इतना ही नहीं, हमलावरों ने ओम प्रकाश के माता-पिता पर भी हमला किया, जिससे उनके पिता के सिर में गहरी चोट लगी और माँ के चेहरे व हाथ पर चोटें आईं।
ओम प्रकाश की शिकायत पर कोतबा चौकी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दो आरोपी सूरज डहरे और सदानंद डहरे फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है। पुलिस की इस तत्परतापुर्वक कार्रवाई में जहाँ कोतबा चौकी प्रभारी उप निरीक्षक राकेश कुमार सिंह, सहायक उप निरीक्षक अपलेजर खेस, आरक्षक बूटा सिंह, पवन पैंकरा, सुशील तिर्की और महिला आरक्षक तुलसी कोसले ने सराहनीय भूमिका निभायी, वहीं जशपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने इस घटना पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि टोनही और जादू-टोना जैसे अंधविश्वासों के चलते निर्दोष लोगों को निशाना बनाना गलत है। यह एक सामाजिक बुराई है, जिसे जड़ से खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने आम जनों से अपील करते हुए कहा कि वे खुद को और अपने परिजनों को इस तरह के अंधविश्वासों के खिलाफ जागरूक करें। शिक्षा और जागरूकता ही इसका समाधान है।
घटनाक्रम में तह तक जाकर देखें तो वास्तव में अंधविश्वास अभी भी कायम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ शिक्षा व जनजागरूकता की कमी के कारण ग्रामीण रूढ़िवादी परम्परा तथा पुरानी मान्यताओं पर ज्यादा विश्वास करते हैं और तंत्र-मन्त्र व झाड़-फूँक को पहले महत्व देते हैं। यही वजह है कि ओझाओं और तांत्रिकों की दुकानें गाँवों में ज्यादा देखने को मिलती हैं, जिन पर लोग आँख मूँद कर भरोसा करते हैं। यह एक सामाजिक बुराई है, जिसके चलते बेकसूर इंसान भी बेमौत मारा जाता है। ऐसे में जनजागरूकता अभियान लगातार चलाये जाने की नितांत आवश्यकता है, जिससे लोग झाड़-फूँक के चक्कर में न पड़ें।