
💥सिंघल कंपनी में करवाये जाते हैं बिना सुरक्षा उपकरण के मजदूरों से कार्य।
💥ठेका मजदूरों को इंसान नहीं जानवर समझते हैं प्लांट के अधिकारी।
💥श्रमिक की मौत पर मैनेजर व ठेकेदार के विरुद्ध जुर्म दर्ज कर पुलिस कर रही आगे की कार्यवाही।
💥रोलर पट्टे में हाथ फँस कर अलग होने जाने से श्रमिक की हुई थी मौत।
💥सुरक्षा में लापरवाह उद्योग प्रबंधनों में मचा हड़कंप।
तहतक न्यूज/तराईमाल।
पूँजीपथरा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तराईमाल स्थित सिंघल कंपनी में हुए हादसे में मजदूर की मौत हो जाने के मामले में कंपनी के मैनेजर व ठेकेदार के खिलाफ पुलिस ने जुर्म दर्ज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दिया है। बता दें कि सिंघल कंपनी के कोल सर्किट में काम करने के दौरान रोलर पट्टे में हाथ फंसने से एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया था, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जांच में पुलिस ने पाया कि कंपनी में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के ठेका मजदूर से कार्य करवाया जा रहा था जिसके चलते उक्त घटना में श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गया और असमय ही मौत के मुँह में समा गया।

यह दर्दनाक घटना पूंजीपथरा थाना क्षेत्र की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरजपुर जिला के खुतरापारा निवासी रामजीत बाकला (उम्र 34 वर्ष) तराईमाल में स्थित सिंघल कंपनी के क्वार्टर में रह कर ठेका मजदूर के रूप में काम करता था। साढ़े तीन माह पूर्व 30 अक्टूबर को रामजीत सुबह 08 बजे प्लांट के कोल सर्किट में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम कर रहा था। दोपहर 12 से 01 बजे दरमियान काम करते समय चल रहे रोलर पट्टे में फंस गया। इस घटना में उसका हाथ पट्टे में फंस कर अलग हो गया था और सिर मेंं भी गंभीर चोट आयी थी। श्रमिक को उपचार के लिए रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
मर्ग जांच के बाद बिना किसी सुरक्षा उपकरण के श्रमिक से लापरवाहीपूर्वक काम करवाये जाने के साक्ष्य पर पूँजीपथरा पुलिस ने मैनेजर गायत्री प्रसाद तिवारी तथा ठेकेदार भानु सिंह को दोषी मानते हुए उनके विरूद्ध बीएनएस की धारा 106 (1), 289 के तहत अपराध दर्ज कर आगे की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

जिले में स्थापित उद्योगों में लापरवाही के कारण आये दिन दुर्घटनाएँ हो रहीं हैं। बात तह तक की करें तो गरीब मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं है। इनकी सुरक्षा व्यवस्था पर होने वाला खर्च कंपनियों को फिजूलखर्ची लगता है। दो वक्त की रोटी की खातिर, बारह घंटे कमर तोड़ मेहनत कर अपना और परिवार का पेट पालने वाले मजदूरों को गुलाम समझा जाता है जबकि इन्हीं मजदूरों से इनका प्लांट चलता है। ये कैसी विडम्बना है कि जहाँ एक तरफ श्रमिकों के हित के लिए कड़े कानून और कई योजनाएं बनीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों की बदौलत करोड़ों कमाने वाले धन कुबेर नीति-नियमों की धज्जियाँ उड़ाते नजर आ रहे हैं।
फिलहाल पूँजीपथरा पुलिस की इस कार्यवाही से जहाँ मृतक रामजीत के परिजनों में न्याय की उम्मीद बढ़ी है वहीं आम जनों के हितैषी व संवेदनशील थाना प्रभारी राकेश मिश्रा एंड टीम की मेहनत का सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में शीघ्र ही देखने को मिलेगा।