
💥जब वन ही जीवन है तो क्यों काट रहे जंगल?
💥नागरामुड़ा के ग्रामीणों का संकल्प, किसी भी हाल में नहीं काटने देंगे गांव के जंगल।
💥जिंदल कंपनी के लिए शासन प्रशासन के द्वारा जंगल कटाई के विरोध में जंगल में ही आंदोलन कर रहे नागरामुडा के ग्रामीण।
💥विकास की लालच में प्रदूषण से थर्राता भारत, दे रहा मुसीबतों को न्योता।
तहतक न्यूज/तमनार।
जिंदल कंपनी के लिए कोयला खनन करने सेक्टर 4/1 में 27 नवम्बर 2024 से नागरामुडा गांव के जंगल की कटाई वन विभाग के द्वारा शुरू कर दिया गया है जिसके विरोध में ग्रामीण जंगल में ही आंदोलन करने पर उतारू हो गये हैं। ग्रामीण नहीं चाहते कि कोयला के लिए प्राकृतिक जंगल का सफाया किया जाय वहीं प्रशासन की मानें तो स्वीकृति पश्चात ही जंगल कटाई शुरू की गई है परंतु ग्रामीणों का आरोप है कि यह क्षेत्र भारत के संविधान के मुताबिक पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यहां बिना ग्राम सभा सहमति के जंगल कटाई की स्वीकृति नहीं दी जा सकती जबकि यहाँ जंगल कटाई शुरू कर दी गई है। ग्रामीणों की मानें तो अतिरिक्त भूमि के नाम से 2007 में पंचायत प्रस्ताव दिया गया था परंतु अभी तक वन भूमि के लिए ग्राम सभा का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है जब ग्राम सभा हुआ उसमें इसके विरोध में प्रस्ताव बना है फिर भी शासन–प्रशासन के द्वारा गलत तरीके से स्वीकृति दी गई है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि शासन प्रशासन के द्वारा यहां पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की कोई भी तैयारी नहीं की गई है। विस्थापित होने से यहाँ गांव के लगभग 50 परिवार बेघर हो जाएंगे।

अब सवाल उठता है कि शासन प्रशासन के द्वारा गैर कानूनी और गैर संवैधानिक तरीके से जंगल की कटाई क्यों शुरू कर दी गई है जिसके विरोध में ग्रामीण लगातार आंदोलन करते हुए दिन–दिनभर जंगल में रहकर जंगल की रखवाली करने में लगे हैं?
प्राकृतिक वन की कटाई और स्थानीय लोगों द्वारा की किये जा रहे विरोध को लेकर तह तक की बात की जाय तो जहाँ विकास के नाम पर अगर कोयले की खातिर दोहन जरुरी है तो वहीं पर्यावरण सुरक्षा में अहम् भूमिका निभाने वाले जंगलों का सफाया करना कहीं न कहीं अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने वाली जैसी बात सिद्ध होती दिखायी दे रही है। सवाल उठता है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कहीं कोई ऐसा मुसीबत तो नहीं खड़ा कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें कोई बड़ी क्षति उठानी पड़े और वो हमें मरणोपरांत भी कोई ऐसा तगमा न दे दें जिससे हमारी छवि धूमिल हो?