💥अभिशप्त बन गया है रायगढ़-घरघोड़ा मुख्यमार्ग..!
💥कहाँ गये सड़क सुरक्षा सम्बन्धी संकेतक बोर्ड..?
💥सड़क मरम्मत के नाम पर लाखों की फिजूलखर्ची..?
💥यातायात नियमों के उल्लंघन का ठीकरा केवल जनता के माथे…?
💥दुर्घटना को रोकने के नहीं.. कर रहे बचने के उपाय..!
तहतक न्यूज/मंगलवार/20अगस्त 2024/रायगढ़.
वर्तमान समय में हो रही सड़क दुर्घटनाएँ मानव समाज के लिए नासूर बन कर रह गयी है। आये दिन सफर के हर मोड़ पर कहीं न कहीं हादसे हो रहे हैं और बेकसूरों की जानें जा रही हैं। दुर्घटनाओं के पीछे कारणों की बात करें तो नशे में वाहन चालन, तेज रफ्तार, अनफिट वाहन, ओवर लोडिंग, तीन सवारी, मॉडिफाई साइलेंसर, सीट बेल्ट, हेलमेट आदि से आगे कोई नहीं सोचता जबकि ऐसे और भी कई वजह हैं जिस पर ध्यान दिया जाय तो काफी हदतक सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। हम बात कर रहे हैं जिले की सबसे व्यस्ततम मार्ग,रायगढ़-घरघोड़ा मुख्यमार्ग की, जहाँ औद्योगिक क्षेत्र होने से इस मार्ग में हजारों की तादात में चौबीसों घंटे छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता रहता है। आपको बता दें कि उर्दना से आगे बढ़ते ही खतरनाक मोड़ों, पुलियों और अच्छे खासे सड़क पर एकाएक गड्ढों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इन मोड़ों और पुलियों के आगे कहीं कोई संकेतक चिन्ह नहीं हैं जिसके कारण कुशल और अनुभवी चालक भी धोखा खा जाते हैं। केलो डेम से आगे पहाड़ किनारे चिराईपानी के समीप ऐसा ही एक मोड़ और उससे लगा पुलिया है जिसका रेलिंग टूट कर बराबर हो गया है। संकेतक बोर्ड नहीं होने से रात के अँधेरे में नवागंतुक चालक अचानक आये मोड़ और पुलिया देख नियंत्रण खो बैठता है और वाहन समेत नाले में घुस जाता है। वाहनों के बार-बार गिरने से पुल का रेलिंग भी टूट कर सपाट हो गया है जिससे नाला होने का अहसास भी नहीं होता। इससे आगे भी ऐसे कई खतरनाक मोड़ और पुलिया हैं जिनके आगे या पीछे कोई संकेत चिन्ह नहीं लगाये गये हैं। यदि इन सब छोटी-छोटी किन्तु महत्वपूर्ण बातों पर सम्बंधित विभाग ध्यान दे तो अकारण मौत के मुँह में जाने वाले बेकसूरों की जान बचाई जा सकती है।
नासूर बन चूके सड़क हादसों के तह तक की हकीकत की तस्वीरें जो बयाँ कर रही है उससे तो यही लगता है कि सड़कों का जिम्मेदार लोक निर्माण विभाग जहाँ कुम्भकर्णी नींद में मगन है तो वहीं लच्छेदार भाषणों से जनता का मनोरंजन करने वाले नेतागण मौनव्रत लिए हुए हैं। सुशासन की आस में जनता बेचारी हाथ मलने और सिर धुनने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही है।