
तहतक न्यूज/रायगढ़। आगामी 4 जुलाई को घरघोड़ा के टेंडा नवापारा स्थित सन इस्पात एन्ड पॉवर प्रा. लिमिटेड के क्षमता विस्तार को लेकर लोकसुनवाई होने जा रही है। गाँवों के गलियों और चौक-चौराहों से छन कर आती खबरों के अनुसार इस क्षेत्र में भारी विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं।
इस इलाके में पूर्व स्थापित उद्योगों की लापरवाही से फैल रहे खतरनाक प्रदूषण से स्थानीय वासी बेहद नाराज हैं।
💥कठपुतली बना पर्यावरण विभाग :-
ग्रामवासियों की माने तो उद्योगों के मनमानी पूर्ण रवैये से यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ चूका है। रात में चिमनियों से छोड़ा जाने वाला रासायन युक्त काला धुंआ पूरे वातावरण को अपने आगोश में ले लेता है जिससे साँस लेने में लोगों को परेशानी होती है। घर में रखे कीमती सामान जैसे टी.वी.,कूलर, फ्रीज, पंखे, कपड़े, बिस्तर आदि के ऊपर राख की मोटी परत जम जाती है। नदी-तालाब का पानी उपयोग के लायक नहीं रह गया है। इतना सब होने के बाद भी पर्यावरण विभाग कोई कड़ी कार्यवाही नहीं करता।
💥स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर :-
यहाँ लम्बे समय से दूषित वातावरण में जी रहे लोगों के स्वास्थ्य की जाँच की जाय तो शायद ही ऐसा कोई बन्दा हो जो तंदुरुस्त मिले। आमतौर पर ग्रामीण बलिष्ठ और मेहनतकश होते हैं लेकिन, आज की स्थिति में इनकी कार्य क्षमता में काफी गिरावट आयी है। पुरुष जहाँ कमजोर और कृषकाय होते जा रहे हैं वहीं डस्ट से महिलाओं की एड़ियाँ फट रही हैं। ऐसे में यहाँ चर्मरोग, श्वासरोग और सिलकोसिस जैसी खतरनाक बीमारियों की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
💥जंगल है मगर, वनोपज नहीं :-
उद्योगों के प्रदूषण से वनोपज पर भी गहरा असर पड़ा है। जंगल में चार, तेंदु, महुआ, हर्रा, बहेरा, आँवला के वृक्ष तो दिखाई देते हैं किन्तु फूल-फल नहीं आते। वनौषधियाँ भी अब नहीं के बराबर हैं। इस प्रकार वनों से जो अतिरिक्त लाभ मिलता था वह पूर्णतया बन्द हो चुका है।
✍🏻वर्तमान परिदृश्य की वास्तविक तथ्यों के तहतक की बात करें तो उद्योगों से रोजगार और विकास के द्वार तो खुलते हैं लेकिन, पर्यावरणीय नियमों व शर्तों का पालन नहीं किया जाता जिससे स्थानीय जनजीवन और पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित होता है। औद्योगिक घराने यदि पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक उत्तरदायित्व का ईमानदारी से निर्वहन करें तो चहुँमुखी विकास का सपना साकार हो सकता है।