
तहतक न्यूज/ देलारी। रायगढ़ इस्पात की होने जा रही दो-दो जनसुनवाईओं को लेकर इस क्षेत्र में समर्थन और विरोध की चर्चा जोरों पर है। गाँवों की गलियों से उड़ती खबर के अनुसार नेताओं, जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों और उद्योग प्रबंधन के बीच लगातार बैठकें चल रही हैं। बैठकों में साम, दाम, दण्ड, भेद जैसी सारी नीतियाँ जहाँ विभिन्न मुद्राओं में नृत्य कर ग्राम वासियों को अपने वश में करने का प्रयास कर रही हैं तो वहीं धन कुबेरों के खजाने से निकली धन लक्ष्मी भी लोगों को रिझाने में कोई कमी नहीं कर रही है। यहाँ बताना लाजिमी होगा कि गेरवानी का यह क्षेत्र भयंकर प्रदूषण की मार झेल रहा है। जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण से लोगों में त्राहि मची हुई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़कों का बुरा हाल है। यहाँ स्थापित उद्योगों के चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ और फ्लाई ऐश से स्थानीय वासियों का जीना दुभर हो गया है, ऐसे में एक और उद्योग की स्थापना और विस्तार का होना, यहाँ के लोगों में बाँटे जा रहे धीमे जहर की मात्रा को और बढ़ाने जैसा प्रतीत होता है। उल्लेखनीय है कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के अनुसार यहाँ और नये उद्योगों की स्थापना या स्थापित उद्योगों का विस्तार नहीं किया जा सकता।
बहरहाल विरोध और समर्थन को लेकर लोगों में कशमकश की स्थिति बनी हुई है। अब देखना यह कि जनसुनवाई में न्याय का पलड़ा किसका भारी होता है सरस्वती का या फिर लक्ष्मी का…?