
तहतक न्यूज/ सारंगढ़-बिलाईगढ़, छत्तीसगढ़।
औद्योगिक घरानों की निरंतर हो रही जनसुनवाई और आम जनता के विरोध का सुर रायगढ़ जिले के बाद अब पड़ोसी जिले सारंगढ़-बिलाईगढ़ में भी सुनाई देने लगी है। इस क्रम में “ग्रीन सस्टेनेबल इनर्जी” की जनसुनवाई आगामी 17 नवम्बर 2025 को सारंगढ़ क्षेत्र में आयोजित की गयी है। लाइम स्टोन माइंस से सम्बंधित इस परियोजना की जनसुनवाई पूर्व में 24 सितम्बर 2025 को होने वाली थी, किन्तु स्थानीय ग्रामीणों के जबरदस्त विरोध की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा. लि. कंपनी की 268 करोड़ रूपये लागत की यह परियोजना पाँच गांवों में लाइम स्टोन माइंस व क्रशिंग प्लांट स्थापित होगी। रायगढ़ निवासी मुकेश डालमिया के नेतृत्व वाली इस कंपनी की करीब 189.509 हेक्टेयर कृषि भूमि जोकि जोगनीपाली, कपिस्दा, सरसरा, लालाधूरवा और धौंरा भाठा गाँव में है। उक्त गाँव के ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछली जनसुनवाई 24 सितम्बर 2025 को तय की गयी थी, लेकिन ग्रामीणों ने ब्लास्टिंग और डस्ट से अपनी कृषिभूमि, पर्यावरण और जनजीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए उक्त जनसुनवाई का प्रबल विरोध किया था। विरोध को देखते हुए जनसुनवाई को स्थगित करना पड़ा था। अब पुनः नवीनतम जनसुनवाई आगामी 17 नवम्बर 2025 को रखा गया है, जिससे प्रभावित होने वाले गांवों के ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगीं हैं। इस जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश की चिंगारी भड़कने लगी है और बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।
छत्तीसगढ़ सरकार के विकास तथा सुशासन के बजते ढोल और आर्तनाद करती जनता के विरोध के सुर व ताल में तह तक जाकर देखें तो जनता के आगे कॉर्पोरेट जगत की धाक कहीं न कहीं धीमी पड़ती दिखायी दे रही है। रायगढ़ जिले में जहाँ अडानी तथा जिंदल जैसी बड़ी कंपनियों की जनसुनवाई स्थगित हो रही हैं, वहीं ग्रीन सस्टेनेबल इनर्जी की 17 नवम्बर को होने वाली जनसुनवाई के ऊपर स्थगन के लटकती तलवार की धुंधली तस्वीर भी दिखायी दे रही है।
फिलहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि 17 नवम्बर को आयोजित ग्रीन सस्टेनेबल इनर्जी की जनसुनवाई ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए संपन्न होती भी है या जिंदल, अडानी की जनसुनवाई की तरह यह भी स्थगित हो जाएगी।
