
तहतक न्यूज/तमनार-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
प्राकृतिक एवं खनिज सम्पदा से भरपूर रायगढ़ जिले में अब नवीन उद्योगों की स्थापना या खदानें खोलना काफी महँगा पड़ने लगा है। बड़े औद्योगिक घराने अडानी हो या जिंदल, सभी के पसीने चोटी से लेकर एड़ी तक उतरते दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान परिदृश्य में पर्यावरणीय प्रदूषण से त्रस्त स्थानीय ग्रामीण आदिवासी और उद्योग प्रबंधन आमने-सामने हैं। ऐसे में जनसुनवाई को लेकर जिला प्रशासन बेहद गंभीर है। इसी परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर रायगढ़ के निर्देश पर तमनार के ग्राम पंचायत धौंराभांठा के सामुदायिक भवन में दिनांक 28 अक्टूबर 2025 को कोल माइंस सेक्टर-1 से प्रभावित ग्रामों की कोर कमेटी और जिंदल प्रबंधन समिति के अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य जमीन खरीदी, बिक्री, मुआवजा तथा जनसुनवाई से संबंधित विषयों पर चर्चा कर आगे की रणनीति तय करना था।
बैठक में जिंदल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष द्वारा प्रस्तावित कोल परियोजना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात सेक्टर-1 से प्रभावित 14 ग्रामों की सर्वसम्मति से गठित कोर कमेटी के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कह दिया कि जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे, किन्तु गहन चर्चा व विचार-विमर्श के बाद कोर कमेटी ने कहा कि यदि किसी परिस्थिति वश हमें बाध्य होकर जमीन देना पड़ा तो कुछ शर्तों के आधार पर समझौता हेतु विचार किया जा सकता है।

राष्ट्रीय विकास में सहयोग की भावना रखते हुए कोर कमेटी ने निम्न शर्तों पर समझौते की बात रखी—
1.परियोजना क्षेत्र की सभी जमीनों की एकमुश्त खरीदारी की जाए।
2.प्रति एकड़ एक करोड़ 20 लाख रु. मुआवजा राशि निर्धारित की जाए।
3.17–18 वर्षों से भूमि खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध रहने के कारण मूल्यवृद्धि नहीं हुई। यदि 2008 से प्रतिवर्ष 10% वृद्धि दर जोड़ी जाए तो वर्तमान मूल्य लगभग 1.21 करोड़ बनता है।
4.जो परिवार अपनी कृषि योग्य भूमि बेचे, उन्हें उसी प्रकार की दुगुनी भूमि वैकल्पिक रूप से प्रदान की जाए।
5.प्रभावित प्रत्येक परिवार से प्रति दो एकड़ / प्रति राशन कार्ड एक सदस्य को JPL में रोजगार दिया जाए। यदि शैक्षणिक योग्यता नहीं है, तो प्रशिक्षण देकर नौकरी दी जाए। नौकरी न लेने की स्थिति में 10 लाख रु.की अतिरिक्त मुआवजा राशि दी जाए।
4.अधिग्रहण के साथ प्रभावित परिवारों के घर, आंगन, बाड़ी आदि का भी क्रय किया जाए तथा उन्हें अन्यत्र संपूर्ण पुनर्वास उपलब्ध कराया जाए। पुनर्वास स्थल पर सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल जैसी सभी जनसुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
उल्लेखनीय है कि यह मामला पिछले दो महीनों से लगातार तमनार ब्लॉक के 14 गांवों में चर्चा का विषय बना हुआ है। 14 अक्टूबर 2025 को धौंराभांठा में प्रस्तावित जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों के एकजुट विरोध के कारण प्रशासन ने जनसुनवाई को स्थगित कर दिया था।
बहरहाल, आज की बैठक शांतिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई और सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया कि आगामी बैठक में सभी पक्षों से सलाह-मशवरा कर देश व क्षेत्र के विकास और जनहित को ध्यान में रखते हुए एक समुचित हल निकाला जायेगा। फिलहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या? जिंदल प्रभावितों की माँग पूरा कर जिंदादिली का परिचय देता है या फिर मामला ठन्डे बस्ते में चला जायेगा।
