

तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
दिवाली यानि पटाखों का त्यौहार, बिना पटाखे के दिवाली अधूरी है, लेकिन पटाखा जितना खूबसूरत और मजेदार होता है उससे कहीं अधिक खतरनाक और जानलेवा भी होता है। जरा सी कहीं चूक हुई तो दिवाली की खुशियों को मातम में बदलते देर नहीं लगती। यही वजह है कि पटाखा दुकानों को आबादी से दूर सुरक्षित खुली जगह में लगाया जाता है ताकि लोग सुरक्षित रहें, लेकिन धन बटोरने के लालच में रायगढ़ शहर में घनी आबादी के बीच कई टन पटाखों का गोदाम खुलेआम संचालित हो रहा है, जहाँ सैकड़ों ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है।

शहर के कोतरारोड़, सोनिया नगर जोकि घनी आबादी वाला क्षेत्र है, यहाँ एक थोक पटाखा गोदाम है जहाँ करोड़ों का लेनदेन होता है। जिले भर के फुटकर व्यापारियों के अलावा पूरे शहर ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी चिल्हर खरीदी करने आते हैं जिससे दिवाली के सीजन में काफी भीड़ हो जाती है और पूरे इलाके में ट्रैफिक जाम हो जाता है।

हैरानी की बात है कि पटाखों के इस त्यौहारी सीजन में शहर की सुरक्षा के मद्देनजर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी स्टेडियम (मिनी स्टेडियम) में पटाखों का दुकान लगाया गया है जहाँ आगजनी से बचाव के तमाम सुरक्षा उपाय सहित फायर ब्रिगेड की गाड़ी व एम्बुलेंस तैनात किये गए हैं, किन्तु सोनिया नगर, चूना भट्ठा जैसे घने रिहायशी इलाके में तंग गलियों के बीच स्थित फर्म पूनमचंद नरसिंग दास (अभिषेक इंटरप्राइजेज) के पटाखा गोदाम में ऐसी कोई पर्याप्त और ठोस व्यवस्था नहीं है जिससे कि आपात स्थिति में निपटा जा सके। यहाँ की संकरी गलियों में न तो एम्बुलेंस जा सकती है और न ही अग्नि शमन की गाड़ी।इस प्रकार यह पूरा क्षेत्र न केवल बारूद के ढेर पर बैठा है, अपितु स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल हमेशा बना हुआ है।

नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर स्थानीय निवासियों ने बताया कि दिवाली का त्यौहार तो खुशियों का त्यौहार है, लेकिन पटाखा गोदाम के कारण हमारे लिए यह मुसीबत का त्यौहार बन जाता है। हफ्ता दस दिन तक जीना हराम हो जाता है। लोग जहाँ-तहाँ गाड़ियाँ खड़ी कर देते हैं। आने-जाने में दिक्कत होता है। घर में कोई बीमार पड़ जाय तो अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। यहाँ पुलिस की भी ड्यूटी रहती है, मगर कोई कार्रवाई नहीं होती।
स्टेडियम के फुटकर पटाखा विक्रेताओं की मानें तो थोक विक्रेता के द्वारा ग्राहकों को चिल्हर विक्रय किये जाने से उनकी बिक्री काफी हद तक कम हो गयी है। पूरे साल में महज कुछ दिन चलने वाले इस व्यवसाय में उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा। इस थोक व्यापारी द्वारा आम ग्राहकों को कम रेट में दिए जाने से जहाँ फुटकर व्यापारियों की बिक्री कम हो गयी है, वहीं उक्त थोक व्यापारी के गोदाम में ग्राहकों की लम्बी लाइन लगी रहने से उसकी पांचों ऊँगलियां घी में और सिर कड़ाही में नजर आ रही है। सम्बंधित जिम्मेदार विभागों में शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होती।
फिलहाल, रायगढ़ शहर त्यौहार की खुशी और पटाखों के धमाके के बीच दिवाली में लक्ष्मी को मनाने को उत्सुक है। राजा हो या रंक, कर्मचारी हो या अधिकारी, मंत्री हो या संतरी, नेता हो या अभिनेता लक्ष्मी के आगे हर कोई नतमस्तक है। दिवाली में हर कोई चाहता है कि उसके घर लक्ष्मी का आगमन हो चाहे किसी भी रूप में हो, क्योंकि यह दिवाली है जुआ खेलने की परंपरा है जुए की दाँव में कोई पैसा लगा रहा है तो कोई ईमान।