
तहतक न्यूज/रायपुर, छत्तीसगढ़।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ की ऑनलाइन मीटिंग आहूत की गईं जिसमे प्रदेश के समस्त जिलों से संगठन के पदाधिकारी शामिल हुए।
पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर संगठन ने अपनी बैठक की शुरुआत में सभी पत्रकारों ने अपनी बात रखी जिसमें सर्व सम्मति से निणर्य लिया गया सितंबर माह में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में इस पर चर्चा की जाएगी और पत्रकार सुरक्षा कानून प्रदेश में लागू करने सरकार तक बात पहुंचाई जाएगी अन्यथा आने वाले विधानसभा सत्र में प्रदेश के पत्रकारों द्वारा राजधानी में विधानसभा का घेराव किया जायेगा।
पत्रकार सुरक्षा समिति की ऑनलाइन मीटिंग में राष्ट्रीय अधिवेशन को दो सेशन में किये जाने का निणर्य लिया प्रथम अधिवेशन जो प्रथम भाग का होगा उसमे पत्रकारों की कार्यशाला के साथ पत्रकार सुरक्षा क़ानून पर बात होंगी ओर दूसरे भाग में जो पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य या पत्रकार हित में आंदोलन किये हैं उन सभी का सम्मान किया जायेगा। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार,राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश,उड़ीसा, झारखण्ड, उत्तराखंड,हरियाणा, पंजाब कर्नाटक, आंध्रप्रदेश,गोवा, मुंबई, पश्चिम बंगाल,आदि राज्यों से अधिवेशन में भाग लेंगे।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय महासचिव महफूज खान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नितिन सिन्हा,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश प्रताप सिंह परिहार भी इस ऑनलाइन मीटिंग में शामिल हुए। मीटिंग में छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा क़ानून लागु करने पर जोर दिया गया और सभी राष्ट्रीय सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को आश्वासन भी दिया कि पूरे देश के पत्रकार उनके साथ खडे हैं और आगामी अधिवेशन में उनकी मांग को छत्तीसगढ़ की सरकार तक पहुंचाने वो जरूर शामिल होंगे।
इस ऑनलाइन मीटिंग में प्रदेश के समस्त पदाधिकारी जिसमे पुष्पा रोकडे, राकेश ताम्बोली, राजेश सोनी,राजा खान, नवरतन शर्मा, सुरजीत सिंह रैना, नरेश चौहान, कृष्णा गंजीर, दीपक, कृष्णा महिलांगे, दिनेश जोहले,नारायण बाइन,रामेश्वर वैष्णव, जावेद खान, कैलाश आचार्य,मनीष,प्रशांत,कौशलेन्द्र यादव,डी पी गोस्वामी, अरुण,नितिन रोकडे, प्रवीण निशी, सुशील बखला,नाहिदा कुरैशी, रवि शुक्ला, संजय शर्मा, अरविन्द शर्मा, दीपक साहू, अरुण शेंडे, गोपाल शर्मा, आदि सदस्य शामिल हुए।
पत्रकार सुरक्षा कानून न जाने ऐसा कौन सा कानून है जिसे लागू करने-कराने में इतना समय लग रहा है? सरकारें आयीं और गयीं परन्तु ये लागू नहीं हो पा रही है। देश-प्रदेश में अनेकों पत्रकार संगठनें हैं जो यदाकदा आवाज उठाते हैं मगर आश्वासनों का झुनझुना थमा दिया जाता है। सवाल उठता है कि आखिर पत्रकार कब तक ठगे जाते रहेंगे? आये दिन पत्रकारों के साथ विवाद, धक्का-मुक्की, गाली-गलौच, मारपीट, फर्जी एफआईआर और हत्याएँ हो रही हैं। जब घटनाएं होती हैं तभी कुछ दिनों तक शोर-शराबा होता है उसके बाद मामला शांत हो जाता है। जब तक पूरे देश के सभी पत्रकार एक जुट होकर अपने अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो ऐसे ही यह कपोल-कल्पित चौथा स्तम्भ केवल भाषणों और कागजों पर ही सुशोभित होता रहेगा।