
💥गारे-पेलमा जनसुनवाई में दिया था निष्क्रियता का परिचय।
💥अपने वादे के अनुसार विगत 3 जुलाई को भी नहीं पहुँच पायी तमनार।
💥अब युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ आंदोलन की कर रहे बात, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन।
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
वर्तमान समय में राजनैतिक वातावरण इतना बदल चुका है कि आम जनता का राजनैतिक दलों से विश्वास धीरे-धीरे उठता जा रहा है। जनता को रिझाने के लिए नेता जहाँ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं यह सब झूठे वादे के सिवा कुछ भी नहीं। कहते तो हैं डंके की चोट पर, किन्तु होता कुछ नहीं। ये हम नहीं कह रहे हैं, जिले में चल रही सियासी हलचल की तस्वीरें बोल रही हैं।

आपको बता दें कि बीते सप्ताह आम आदमी पार्टी के महासचिव और प्रदेश संगठन महामंत्री जसबीर सिंघ चावला का रायगढ़ आगमन हुआ था। सतीगुड़ी चौक स्थित साकेत होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि अडानी की गोद में बैठकर मुड़ागांव में हजारों पेड़ कटवा देना कितना सही है, इसका जवाब जिम्मेदारों को देना चाहिए। रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र के गारे-पेलमा जनसुनवाई में आम आदमी पार्टी की निष्क्रियता को उन्होंने माना और कहा था कि ये उनकी पार्टी की लापरवाही थी, मगर हमारी नियत साफ है, वैसे कल 3 जुलाई को आप की टीम तमनार इलाके में जाकर वित्तमंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ आग उगलेगी। यही नहीं, मुड़ागांव पेड़ कटाई प्रकरण में भी आम आदमी पार्टी एक्शन लेते हुए अपनी कार्रवाई करेगी।

उल्लेखनीय है कि 3 तो क्या 4,5,6…देखते-देखते 11 तारीख गुजरने को है, लेकिन आम आदमी पार्टी का एक कार्यकर्त्ता भी तमनार इलाका नहीं पहुँचा। तमनार वासी बेसब्री से इंतजार करते रह गये, मगर हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी। ओपी चौधरी के खिलाफ आग उगलने की तस्वीर तो क्या बीड़ी का धुआँ तक नजर नहीं आया।
इधर, छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण नीति को तत्काल प्रभाव से रद्द करने व शिक्षा में सुधार के लिए ठोस कदम उठाये जाने हेतु आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को 8 सूत्रीय मांगों को लेकर आज एक ज्ञापन सौंपा है। इतना ही नहीं, अपनी 8 सूत्रीय मांगें पूरी नहीं किये जाने पर आंदोलन कर विरोध प्रदर्शन की बात भी कही है।

अब ऐसे में आम आदमी भला, आम आदमी पार्टी पर कैसे भरोसा करे कि वो आम आदमी के साथ है और अपने ज्ञापन के अनुसार समय पर यह पार्टी आंदोलन करेगी या फिर कहीं, मुड़ागांव की तरह केवल गीदड़ भभकी साबित होगी? जनता असमंजस में है। वैसे, हकीकत की तहकीकात में तह तक जाकर समझने की कोशिश करें तो यही लगता है कि राजनीतिक दलों द्वारा वास्तव में जनता की दुखती रग पर हाथ रखकर न केवल स्वार्थ सिद्धि की जा रही है, बल्कि राजनीतिक रोटी सेंकने की भरपूर कोशिश हो रही है।
