
तहतक न्यूज/तमनार-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
जिले में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जनता और शासन के बीच सामंजस्य के बजाय आपस में विरोध की तस्वीरें नजर आ रही हैं। छत्तीसगढ़ शासन जहाँ सुशासन का डफली बजा रही है, तो वहीं विपक्ष कुशासन का राग अलाप रही है और जनता असमंजस में पड़ी बेबस दिखायी दे रही है।
अभी पिछले महीने ही छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़िया अंदाज में “सुशासन तिहार” नाम से पूरे प्रदेश में बड़े जोर-शोर से समस्या समाधान शिविर चलायी थी। ऐसा लग रहा था जैसे प्रजा के पास अब कोई समस्या ही नहीं रहेगी, लेकिन नतीजा..? ठीक उल्टा हो गया, बड़ी-बड़ी समस्याओं का अम्बार लग गया। बीते दो-तीन दिनों से मुड़ागांव में अडाणी द्वारा जंगल कटाई से क्षेत्र की जनता आंदोलित है। विपक्ष भी आंदोलनकारियों के समर्थन में उतर आया है।

दरअसल, कोयला खनन के लिए जंगल का सफाया किया जा रहा है, जिसका पूरजोर विरोध हो रहा है। ग्रामीणों के आंदोलन को समर्थन देने कल शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों के साथ पीसीसी चीफ दीपक बैज भी मुड़ागांव पहुँचे और ग्रामीणों के विरोध को सही ठहराते हुए कांग्रेस के तरफ से सदन से सड़क तक की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।

दूसरी तरफ, भाजपा सांसद राधेश्याम राठिया ने अध्यक्ष दीपक बैज से सवाल पूछा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार द्वारा तमनार के गारे पेलमा-।। परियोजना की जनसुनवाई, एनवायरनमेंट क्लियरेन्स की सिफारिश, फॉरेस्ट क्लियरेन्स स्टेज -। की सिफारिश और पुनः फॉरेस्ट क्लियरेन्स स्टेज -।। की सिफारिश की गयी थी या नहीं?
इस प्रकार दोनों पार्टियां एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं। मामले में जो वास्तविक तथ्य सामने आ रहे हैं उससे यही प्रतीत हो रहा है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति कोई भी सरकार गंभीर नहीं है। पर्यावरण जैसे जल, जंगल और जमीन की चिंता केवल आदिवासियों को ही करना है। पेड़ लगाने का फर्ज सिर्फ जनता का है और काटने का कर्तव्य उद्योगपतियों का है।