
💥 अम्बेडकर अस्पताल में कवरेज कर रहे पत्रकारों को सुरक्षा गार्डों ने की रोकने की कोशिश।
💥अस्पताल में सुरक्षा एजेंसी के बाउंसरों की चल रही गुंडागर्दी।
💥सुरक्षा एजेंसी का संचालक पिस्तौल दिखा कर पत्रकारों को दे रहा था धमकी।
💥मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने निकल पड़े पत्रकार तो पुलिस अधिकारी पहुँचे मौके पर।
💥बाउंसरों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, पिस्तौल और गोलियों की घर से हुई बरामदगी।
तहतक न्यूज/रायपुर, छत्तीसगढ़।
पूरे प्रदेश में सुशासन तिहार की लहर चल रही है, छोटी से लेकर बड़ी समस्याओं तक के निराकरण सहज ही किये जा रहे हैं। आम जनता को ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे छत्तीसगढ़ में जनता का राज है। बहुत जल्द राम राज्य आने की कल्पना भी हो रही है, लेकिन राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल में आम जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की और अभद्र व्यवहार की खबर ने दिन में सपने देख रही जनता को नींद से उठा कर झकझोर कर रख दिया है। सुशासन और कुशासन जैसे शब्दों के अर्थ समझ पाने में आम ही नहीं खास लोग भी मुश्किल में पड़ गये हैं।
मिल रही जानकारी के मुताबिक बीती रात मेकाहारा (डॉ. भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल) में जमकर हंगामा हुआ, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा गार्ड और वहाँ पहुँचे कुछ पत्रकारों के बीच तीखी नोंकझोंक और धक्का-मुक्की हो गयी। बताया जा रहा है कि पत्रकार अस्पताल में एक गंभीर मरीज की स्थिति और अस्पताल की व्यवस्थाओं की जानकारी लेने पहुँचे थे। इस बीच कवरेज कर रहे पत्रकारों को सुरक्षा गार्डों द्वारा रोकने का प्रयास किया गया, जिससे बहस शुरू हो गई। यहाँ तक कि गाली-गलौच व धक्का-मुक्की की स्थिति निर्मित हो गयी। विवाद तब और बढ़ गया जब अस्पताल में बाउंसर सप्लाई करने वाली एजेंसी का संचालक वसीम पिस्तौल लेकर आ धमका और अपने बाउंसरों के साथ मिल कर पत्रकारों को धमकाने लगा। विवाद से आक्रोशित पत्रकार विरोध करते हुए तत्काल बड़ी संख्या में एकत्र होकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने निकल पड़े। स्थिति को संभालने पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पत्रकारों को समझाइश दी और कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रेस क्लब रायपुर के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने मेकाहारा अस्पताल में पत्रकारों के साथ हुई घटना की कड़ी निंदा की है, उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि दोषी सुरक्षा गार्डों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो पत्रकार संघ बड़ा आंदोलन करेगा। पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान से समझौता नहीं किया जा सकता, और इस तरह की घटनाएं प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला हैं। इसके अलावा प्रशासन से आग्रह भी किया कि अस्पतालों और सार्वजनिक स्थलों पर मीडिया के कार्य में सहयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

बहरहाल मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, वहीं मेकाहारा अस्पताल के अधीक्षक ने माफी मांगी है और दुर्व्यवहार करने वाले बाउंसर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है।
बात करें घटनाक्रम की, जो ऐसी घटनाएं नित नये अंदाज में हो रहे हैं। घटना के बाद पहुँचने वाली पुलिस बराबर कार्रवाई कर रही है, लेकिन जितनी कार्रवाई हो रही है उससे कम होने के बजाय कहीं अधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। इस बात से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जहाँ पत्रकारों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो जो आम जनता है उसके साथ क्या कुछ नहीं होता होगा?