
💥फर्नेस में 35 फीट की ऊँचाई पर बिना सेफ्टी बेल्ट पहने कर रहा था काम।
💥संतुलन बिगड़ते ही गिरा नीचे, सिर फटने के साथ ही टूटी बाएं पैर की हड्डी।
💥शायद ही कोई उद्योग हो जहाँ पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था का पालन होता हो।
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
पूँजीपथरा क्षेत्र के शिवा उद्योग में लापरवाही से हुए हादसे के शिकार झारखण्ड निवासी उपेंद्र भारती की चिता की आग अभी ठंडी नहीं हो पायी थी कि फिर एक अभागे की दर्दनाक मौत एनआर इस्पात के फर्नेस यूनिट में हुए हादसे में हो गयी। दरअसल, कल शुक्रवार को दोपहर एनआर इस्पात के फर्नेस यूनिट में लगभग 35 फीट ऊपर काम कर रहा एक इलेक्ट्रिशियन अचानक नीचे गिर जाने से गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल पहुंचने के पहले ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। दिल दहला देने वाली यह दुर्घटना पूंजीपथरा क्षेत्र में हुई।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ के सावित्री नगर के कोष्टा पारा में रहने वाला अक्षय कुमार निषाद पिता देवनारायण निषाद, उम्र 40 वर्ष पूंजीपथरा थानांतर्गत ग्राम देलारी स्थित एनआर इस्पात में बतौर इलेक्ट्रिशियन का काम करता था। शुक्रवार दोपहर लगभग ढाई बजे एनआर इस्पात के फर्नेस यूनिट में अक्षय लगभग 35 फीट की ऊंचाई में चढ़कर काम कर 6रहा था। काम के दौरान अक्षय का संतुलन एकाएक बिगड़ा और औंधे मुँह नीचे जा गिरा, जिससे अक्षय के सिर के पीछे का भाग फटने के साथ उसके बायां पैर की हड्डी टूट गई। अक्षय को तड़पते देख वहाँ मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गयी। फौरन उसे जिंदल हॉस्पीटल ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक परीक्षण में ही चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सूत्रों की माने तो एनआर इस्पात के जिस फर्नेस यूनिट में यह हादसा हुआ, वहाँ सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। अक्षय जब 35 फीट ऊपर चढ़कर काम कर रहा था तो वह सेफ्टी बेल्ट भी नहीं पहना था, अगर पहना होता तो शायद वह नीचे नहीं गिरता और आज जीवित होता। बिजली का काम ही इतना खतरनाक होता है जो जरा सी चूक होने पर भी माफ नहीं करता। ऐसे में एनआर इस्पात, जोकि एक वृहद उद्योग की श्रेणी में आता है द्वारा अपने कर्मचारियों से बिना सुरक्षा उपकरणों के कार्य कराना न केवल भारी भूल या लापरवाही है, बल्कि यह कानूनन अपराध है।
पूँजीपथरा क्षेत्र में अनेकों छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हैं और दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं किन्तु औद्योगिक नीति नियमों का यहाँ खुला उल्लंघन किया जा रहा है। हाल ही में माँ शिवा उद्योग में भी एक श्रमिक उपेंद्र भारती की दर्दनाक मौत, प्रबंधन की लापरवाही से ही हुई थी। लापरवाही से हो रहे हादसे और मौतों के कारणों की तह तक जा कर देखें तो जो वास्तविक तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे यही प्रतीत होता है कि रोजगार देने के नाम पर कामगारों का जम कर शोषण हो रहा है और उद्योगों में चंद रुपए बचाने के फेर में सेफ्टी बेल्ट, सेफ्टी शू, हेलमेट, दस्ताने जैसे सुरक्षा उपकरणों का सर्वथा अभाव देखा जा रहा है। जिम्मेदार विभाग हो या मजदूर संगठन, घटना के बाद अपने कर्त्तव्यों की खानापूर्ति कर गहरी निद्रा में चले जाते हैं। यदि संबंधित विभाग सजग रह कर उद्योगों की निरंतर जाँच-पड़ताल करे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे तो कीड़े-मकोड़ों की भांति रोज मारे जा रहे निरपराध कामगारों की जानें बचाई जा सकती हैं।