
💥रिश्वतखोरों की खैर नहीं, एसीबी की चल रही ताबड़तोड़ कार्रवाई।
💥जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में पदस्थ बड़े बाबू की बड़ी करतूत।
💥दस हजार रूपये घूस लेते हुए एसीबी ने किया रंगे हाथों गिरफ्तार, पहले ही ले चुका था पाँच हजार।
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी चली गयीं हैं कि जितना काटो उतनी पनप रहीं हैं। सरकार का शायद ही ऐसा कोई विभाग हो, जो इससे अछूता हो। छत्तीसगढ़ में एसीबी की लगातार छापेमार कार्यवाही चल रही है। इसी क्रम में रायगढ़ जिले से भी बड़ी खबर सामने आई है, जहाँ जिला शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में कार्यरत हेड क्लर्क को एंटी करप्शन ब्यूरो ने 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खरसिया क्षेत्र के हालाहुली माध्यमिक शाला में उसूराम केंवट भृत्य के पद पर कार्यरत है। उसूराम का वेतन वर्ष 2014 से 2017 तक नहीं दिया गया था जिसके लिए उसने हाईकोर्ट में गुहार लगायी थी। कोर्ट से वेतन भुगतान का आदेश हुआ जिसके भुगतान के एवज में शिक्षा विभाग में पदस्थ हेड क्लर्क एम.एस. फारूखी ने 20 हजार रुपए की माँग की, मामला 15 हजार रूपये में तय हुआ। उसूराम ने पहले 5 हजार रुपए दिए, परन्तु वेतन जारी नहीं किया गया और शेष राशि की माँग की। परेशान होकर अंत में उसुराम ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई। योजना अनुसार जब वह हेड क्लर्क को शेष 10 हजार रुपए देने पहुंचा, तभी एसीबी की टीम ने घेराबंदी कर एम.एस.फारूखी को रंगे हाथों पकड़ते हुए अपनी हिरासत में ले लिया।

जिस तरह एक के बाद एक रिश्वतखोरी के मामले उजागर हो रहे हैं, उससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि कोई भी शासकीय कार्य बिना चढ़ावे के नहीं हो रहा है। नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा सिस्टम कमीशन पर बंधा है। ऐसा लगता है जैसे सारा विभाग ठेके पर चल रहा है। आम नागरिक जब तक घूस न दे तो दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते चप्पल घिस जाते हैं और आखिर में या तो घर में चुपचाप बैठ जाता है या फिर मजबूर हो कर उसे किसी भी तरह से रुपयों का इंतजाम कर घूस देना पड़ता है।
वैसे तो भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए अनेकों विभाग हैं जहाँ शिकायत करने पर ही कार्रवाई होती है, ऐसे में इक्का-दुक्का लोग ही मुश्किल से हिम्मत जुटा पाते हैं तब कहीं जाकर कोई भ्रष्टाचारी पकड़ में आता है। वैसे हर आम नागरिक की बात करें तो न्याय की दहलीज तक पहुँचने में उसे काफी कुछ सोचना समझना और हिम्मत करना पड़ता है। वर्तमान समय में कानून का खौफ अपराधियों के बजाय शरीफ लोगों में ज्यादा दिखता है, यही वजह है कि लोग किसी झमेले में पड़ना नहीं चाहते।
गाँव-देहात की बात करें वहाँ की तो बात ही निराली है। कहीं खाद्य सुरक्षा का अधिकार प्राप्त गरीब ग्रामीणों को डेढ़-दो हजार रूपये रिश्वत देकर भी राशनकार्ड के लिए भटकना पड़ रहा है तो कोई वृद्ध पेंशन को तरस रहा है। ग्रामीण जनता सीधी-सादी और भीरू स्वभाव की होती है, वह उलझना नहीं जानती है और इसी का फायदा चालाक लोग उठाते हैं।
बहरहाल एंटी कर्रप्शन ब्यूरो रिश्वतखोरों पर लगातार छापेमारी कर कार्रवाई कर रही है जिससे अन्य दफ्तरों में भी हड़कंप मचा हुआ है। यदि कोई भी कार्य के लिए आपसे कोई भी अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत की माँग करे तो बेहिचक शिकायत करें ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी जा सके और धरातल पर सुशासन तिहार का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सके।