तहतक न्यूज/रायपुर।
भूपेश सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ को दुनिया में विकास की एक और नयी पहचान दिलाने एक महत्वपूर्ण योजना बनाई गयी थी जिस पर एक बहुत ही खूबसूरत नारा “छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी” तैयार किया गया था और इसका जोरदार प्रचार-प्रसार भी किया गया था। आम जनता खास कर ग्रामीण जनता बहुत खुश थी। इन चार चिन्हारियों में “गरुवा” और “घुरुवा” पर योजना का कुछ असर दिखा। सरकार ने करोड़ों खर्च कर “गरुवा” के नाम पर गौठान बनवा दिया और “घुरुवा” के नाम पर गोबर खरीदी की। गोबर घोटाले से ग्रामीण जनता के लिए जहाँ यह सब छलावा साबित हुआ वहीं गौ वंश सड़कों पर आ गये। दो-चार को छोड़ दें तो शायद ही कोई किसान के घर पर गौवंश बंधते हों। गौठानों की स्थिति क्या है किसी से छिपी नहीं है।
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ऐसे में कांग्रेस के बाद छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर ग्रामीण जनता की कुछ उम्मीदें बढीं हैं और अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के नव नियुक्त अध्यक्ष विशेषर सिंह पटेल के पदभार ग्रहण के अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा है कि गौ माता के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ में जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। गौशालाओं को प्रति मवेशी दी जाने वाली अनुदान की राशि 25 रुपए से बढ़ा कर 35 रुपए करने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि गौ माता हमारी समृद्धि का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि गौ माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ अभ्यारण्य को गौधाम कहना उचित होगा। राज्य सरकार द्वारा जगह-जगह गौधाम बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। आगे उन्होंने बताया कि बेमेतरा के झालम में 50 एकड़ में गौधाम बन कर तैयार है और जल्दी ही इसका उद्घाटन किया जायेगा।
इसी तरह कवर्धा जिले में 120 एकड़ में गौधाम बनाने का काम तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने और छत्तीसगढ़ के देवभोग ब्रांड को मजबूत बनाने का काम किया जा रहा है। राज्य सरकार का प्रयास होगा कि गौ माता सुरक्षित रहें। गौ तस्करी और गौ हत्या पर पाबंदी लगाने के लिए सख्ती से कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं समारोह में शामिल उपमुख्यमंत्री अरूण साव ने भी अपने सम्बोधन में कहा है कि गौ माता हमारी कृषि अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक है कि हम गौ माता के लिए अपने घर में जगह बनाएं, गौ पालन करें। राज्य सरकार गुजरात के अमूल की तर्ज पर पशुपालन को समाज और परिवार की आर्थिक तरक्की का जरिया बनाएगी।
इस प्रकार देखा जाय तो वास्तव में गौवंश की रक्षा व उनके संवर्धन की अत्यंत आवश्यकता है। तहतक की बात करें तो गौवंश के बिना किसान ही नहीं पूरा मानव समाज अधूरा है। दूध सबको चाहिए किन्तु गाय पालना कोई नहीं चाहता क्योंकि विकास के नाम पर प्रकृति का निर्दयतापूर्वक दोहन हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल उद्योगों को ही बढ़ावा दिया जा रहा है खेती-किसानी को नहीं। लघु और सीमांत किसान खेती करना छोड़ रहे हैं और जब फसलें ही नहीं होंगीं, चारा ही नहीं होगा तो गौवंशों की रक्षा और संवर्धन की कल्पना कैसे कर सकते हैं? फिलहाल गौवंश के प्रति संवेदनशील सीएम साय की घोषणा से आम ग्रामीणों और पशुपालकों में राहत और खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ में गौधाम की योजना किस हद तक सफल हो पाती है?