तहतक न्यूज/31जुलाई/बुधवार/रायपुर।
इन दिनों छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा विभाग ख़ूब चर्चा का विषय बना हुआ है इसलिए नहीं कि उच्च शिक्षा विभाग को कोई राष्ट्रीय या राष्ट्रपति पुरस्कार मिल गया है। बल्कि इसलिए कि उच्च शिक्षा विभाग पिछले 7 महीनों से मानसिक दिवालियापन का शिकार हो गया है। नियम कानून को ताक पर रख कर उलजुलूल कारनामे कर रहा है।
मूर्खता, ढीठता, जातिवादी सोच, या कुछ और जो भी हो उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना आर और झरना चौबे (सहायक प्राध्यापक विधि ) विधि सलाहकार उच्च शिक्षा विभाग में पिछले 7 महीनों से अपने पद की गरिमा को तार तार करने पर तूले हुए हैं।
नियम विरुद्ध इन दोनों के चौपट कार्यों ने CGPSC 2019 के एक चयनित सहायक प्राध्यापक को इतना प्रताड़ित कर दिया है कि कहीं वो आत्महत्या न कर ले..
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 27 जुलाई 2024 को विजय शंकर पात्रे नें रायपुर के प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता किया। अपनी समस्याओं से पत्रकारों को अवगत कराते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से निवेदन किया है कि उच्च शिक्षा विभाग में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करते हुए सुशासन स्थापित करें।
27 जून 2024 को विजय शंकर पात्रे मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम में भी गए थे,उच्च शिक्षा विभाग में सुशासन स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री के हाथों में अपना आवेदन क्रमांक 2500724008745 दिए थे किन्तु एक महीना बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।उच्च शिक्षा विभाग में अभी भी अफसरशाही व जंगल राज कायम है।
लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ के द्वारा सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 कराया गया था जिसका रिजल्ट 14 जुलाई 2021 में आया। विजय शंकर पात्रे वनस्पति शास्त्र विषय में चयनित हुए इनका रैंक 98 है। मार्च 2022 में पहला नियुक्ति आदेश जारी हुआ इसमें विजय शंकर पात्रे और अन्य 14 लोगों का नाम नहीं था इसी तरह दूसरा और तीसरा लिस्ट जारी हुआ उसमें भी इनका नाम नहीं था।
जून 2022 में विजय शंकर पात्रे ने WPS/3898/2022 के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका लगायी थी जिसका आदेश 9अक्टूबर 2023 में आया। इस आदेश में उच्च न्यायालय नें 1 महीने के अंदर विजय शंकर पात्रे को पदस्थापना देने का आदेश दिया। जिस समय आदेश आया उस समय आचार संहिता लगा हुआ था । संयुक्त सचिव हिना अनिमेष नेताम ने कहा कि अभी आचार संहिता चल रहा है अभी पदस्थापना नहीं मिलेगी।
दिसंबर 2023 में आचार संहिता खत्म हुआ और भाजपा की सरकार बनी। बृजमोहन अग्रवाल उच्च शिक्षा मंत्री बनाये गए। जनवरी 2024 में प्रसन्ना आर को सचिव उच्च शिक्षा विभाग का कमान दिया गया।
कोर्ट का आदेश लेकर जल्दी पदस्थापना देने के लिए सभी चयनित अभ्यर्थी प्रसन्ना आर से मिलने गए। जनवरी फ़रवरी आवेदन देते रहे। कहावत है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक कर पीता है। कहीं विभागीय त्रुटि से फिर नियुक्ति से वंचित न होना पड़े इसलिए विजय शंकर पात्रे ने सचिव प्रसन्ना आर, संयुक्त सचिव हिना अनिमेष नेताम व अवर सचिव को क्रमशः 27 फरवरी 2024, 06 मॉर्च 2024 और 07 मॉर्च 2024 को आवेदन देकर बताया था कि भूल या विभागीय त्रुटि से उसका नियुक्ति आदेश WPS/6358/2022 के लिए नहीं रोका जाना चाहिए। 9 मॉर्च 2024 को उच्च शिक्षा मंत्री जी को भी आवेदन दिए।
पूर्व में याचिका WPS/3606/2021,WPS/3616/2021 के लिए बिना किसी सूचना के 15 लोगों की नियुक्ति को रोक दिया गया था। याचिका WPS/6358/2022 में 6 चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाया गया है जिसमें 2अनारक्षित वर्ग से, 2 अनुसूचित जनजाति से, 1 अनुसूचित जाति से, 1 ओबीसी वर्ग से।
ज्ञात हो कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के अनुसार हुआ है।आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनारक्षित वर्ग 42%, अन्यपिछड़ा वर्ग 14%, अनुसूचित जनजाति (ST) 32%, व अनुसूचित जाति (SC) 12% होता है।
विजय शंकर पात्रे का चयन आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग (SC) में 12% आरक्षण के अंतर्गत हुआ है।
आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के पहले छत्तीसगढ़ में आरक्षण अधिनियम 1994 लागू था। आरक्षण अधिनियम 1994 के अनुसार अनारक्षित वर्ग 50%, अन्यपिछड़ा वर्ग 14%, अनुसूचित जनजाति (ST) 20%, व अनुसूचित जाति (SC) 16% होता था।
वर्ष 2012 में जब आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 लागू हुआ तो अनारक्षित वर्ग में 8% सीट घटकर 50 से 42% व अनुसूचित जाति वर्ग (SC) में 4% सीट घटकर 16 से 12% हो गया था तथा अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में 12% सीट बढ़कर 20 से 32% हो गया था।
इस कारण आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के विरोध में कई याचिकाएँ उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में लगी थी इनका याचिका क्रमांक WPC- 591/2012, WPC – 592/ 2012, WPC- 593/2012, WPC-594/2012 & WPC – 1067/ 2012 था। इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ का अंतिम आदेश दिनाँक 19-09-2022 को आया। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 को असंवैधानिक बताया तथा आरक्षण अधिनियम 1994 को संवैधानिक और उपयोगी कहा। और यह भी कहा कि पूर्व की भर्तियों को प्रभावित नही किया जाए। किन्तु पूर्व की सभी भर्तियाँ उक्त याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन की गई थी, तथा 19-09-2022 को जब यह आदेश आया तब तक वनस्पति शास्त्र विषय की नियुक्तियाँ पूर्ण नहीं हुई थी। सभी वर्गों की कुछ सीटें बची हुई थी।
ध्यान रहे कि WPS/6358/2022 में 6 चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाया गया है लेकिन न्यायालय ने सिर्फ़ 2 सीट रिक्त रखने का आदेश दिया है ताकि कहीं अंतिम निर्णय याचिकर्ता के पक्ष में हो तो उसे वह दिया जा सके किंतु उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना आर व उनकी विधि सलाहकार झरना चौबे ने अपनी अकुशलता और सच को स्वीकार नहीं करने की ढीठता से उच्च शिक्षा विभाग की साख और अपने पद की गरिमा को तार तार कर दिया है।
विजय शंकर पात्रे ने 27 फरवरी 2024, 06 मार्च 2024, 07 मार्च 2024 को आवेदन देकर सचिव उच्च शिक्षा विभाग को पहले ही सचेत करते हुए बता दिया था कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में यदि आरक्षण अधिनियम 1994 लागू होगा तो अनारक्षित वर्ग में 8% सीट बढ़ेगी, ओबीसी यथावत 14% रहेगी, अनुसूचित जाति (SC) में 4% बढ़ेगी अतः अनारक्षित वर्ग, ओबीसी वर्ग तथा अनुसूचित जाति वर्ग WPS/6358/2022 के लिए अप्रभावित रहेगी इसलिए इन वर्गों से सीट नहीं रोका जा सकता किन्तु अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में आरक्षण अधिनियम 1994 लागू होने से 12% सीट घट जाएगी इसलिए WPS/6358/2022 के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से सीट रोका जाएगा।
इतना सब सप्रमाण बताने के बाद भी सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे ने नियम विरुद्ध काम करते हुए 11 मार्च 2024 को नियुक्ति आदेश जारी किया जिसमें WPS/6358/2022 के लिए विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति अनुसूचित जाति से रोक दिया गया। तथा बचे हुए अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के सभी अभ्यर्थियों को जिनमें ऋतु सोरी, गुलेश्वर सिंह, मनीषा टाईगर को नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। जिस उद्देश्य से याचिका लगाया गया था उसे समाप्त कर WPS/6358/2022 की हत्या कर दी गई।
सचिव प्रसन्ना आर आईएएस हैं व झरना चौबे विधि की सहायक प्राध्यापक हैं इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद भी इनको आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 और आरक्षण अधिनियम 1994 में अंतर करना नहीं आ रहा है।
पता नहीं 7 महीनों से विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति रोक कर कौन सी बुद्धिमानी दिखा रहें हैं समझ से परे है।
जबकि विजय शंकर पात्रे अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में आरक्षण 12% के अंदर चयनित हैं जो कि याचिका WPS/6358/2022 का अंतिम निर्णय याचिकर्ता के पक्ष में होने से 16% हो जाता, नहीं भी होता तो भी 12% आरक्षण यथावत रहेगा लेकिन अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से कम नहीं होगा।
मतलब याचिका WPS/6358/2022 से विजय शंकर पात्रे के चयन में रत्ती भर भी फ़र्क नहीं पड़ता। फिर भी विजय शंकर पात्रे नें WPS/6358/2022 के अंतिम आदेश के अधीन नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए शपथ पत्र भी दिया है।
उच्च शिक्षा विभाग पहले भी शपथ पत्र लेकर कई नियुक्ति आदेश जारी किया है।
लेकिन न जाने क्यों विजय शंकर पात्रे से ही सचिव प्रसन्ना आर व झरना चौबे को क्या विशेष चिढ़ है कि सब नियम कानून को ताक में रख कर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है।
विजय शंकर पात्रे मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन को भी 4 जुलाई 2024 को सचिव प्रसन्ना आर को आरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार अनुसूचित जाति के 12% आरक्षण को क्षति पहुँचाने से रोकने के लिए आवेदन किए थे एवं 16 जुलाई 2024 को उच्च शिक्षा विभाग को कई महीनों से गुमराह करने वाली नाकाबिल झरना चौबे को विभाग से हटाने के लिए आवेदन किये थे। किंतु उच्च शिक्षा विभाग में चल रही मनमानी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस प्रकार उच्च शिक्षा विभाग में चौपट राज खुल्लम खुल्ला चल रहा है और न जाने कब तक चलता रहेगा। बता दें कि मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम में पटवारियों पर तत्काल कार्यवाही हो जाती है परन्तु यहाँ उच्चाधिकारियों पर नहीं।
पूरे मामले की तह तक की बात करें तो यहाँ पर वैमनस्य्ता की बू आ रही है। निम्न अथवा मध्यम स्तर में हो तो बात समझ में आती है किन्तु उच्च अधिकारियों में इस तरह के मनोविकार जहाँ उनकी ओछी मानसिकता को प्रदर्शित करती है वहीं आम जन-मानस के माथे पर कई सवालिया निशान उभर कर सामने आ रहे हैं।