
तहतक न्यूज/रायगढ़।
छत्तीसगढ़ की सतत एवं सक्रिय सामाजिक संस्था प्रांतीय अग्रवाल संगठन की बैठक शहर के अग्रसेन भवन में संपन्न हुई जिसमें समाज के मुद्दों पर खुल कर चर्चा हुई और कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये गये। इसके अलावा समाज की हो रही लगातार राजनीतिक उपेक्षा पर सभी अग्रजनों ने रोष प्रकट किया।
उल्लेखनीय है कि अग्र समाज लोक कल्याण दान, धर्म व सामाजिक सहयोग के लिए सदैव अग्रणी रहा है, परंतु राजनीतिक पार्टियां किसी प्रकार का प्रतिनिधित्व देने व चुनाव में टिकिट वितरण के समय इसी समाज की सबसे ज्यादा उपेक्षा करते हैं, जिसको लेकर आमंत्रितों में गहरा असंतोष था। महिला संगठन से आमंत्रितों ने तो साफ तौर पर कहा कि समाज को अब राजनीतिक दलों को किसी प्रकार से सहयोग के पहले उनसे समाज की लगातार उपेक्षा का कारण जरूर पूछना चाहिए। राजनीतिक शक्ति बढ़ाने हेतु दमखम के साथ समाज का हक व पक्ष रखने की बात भी बैठक में कही गई।
प्रांतीय बैठक में डॉक्टर अशोक अग्रवाल ने सर्व समाज के लिए चलाई जाने वाले ब्याज मुक्त एजुकेशन लोन, राजधानी के प्रमुख हॉस्पिटलों के साथ छूट के करार, वैवाहिक संबंधों में आ रही तकलीफ, अलगाव के मुद्दों को सुलझाने हेतु गठित अग्र पंचायत समिति,एंबुलेंस हेतु 50 प्रतिशत अनुदान सेवा, छत्तीसगढ़ के किसी भी स्थान में अग्रसेन महाराज की प्रतिमा स्थापित करने हेतु संगठन द्वारा निःशुल्क प्रतिमा प्रदान करने व मात्र ₹251000 में सम्पूर्ण शादी की व्यवस्था व 1 मार्च 2025 को तय नि:शुल्क सामूहिक कन्या विवाह एवं 22 मार्च को विशेष ट्रेन द्वारा प्रयाग काशी अयोध्या की यात्रा में जा रही ट्रेन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिससे आमंत्रितों ने करतल ध्वनि के साथ प्रान्तीय अग्रवाल संगठन की समस्त योजना की सराहना की। बैठक में अग्रोहा विकास ट्रस्ट, मारवाडी युवा मंच, अग्रवाल मित्र सभा,अग्रसेन सेवा संघ व कई सामाजिक संगठनों के अग्र प्रमुख मौजूद रहे जिन्होंने खुलकर परिचर्चा में भाग लिया व अपनी बात रखी।
बात करें इस बैठक के तह तक की तो राजनीति में अग्र समाज के प्रतिनिधित्व को कम किये जाने को लेकर काफी आक्रोश है, और हो भी क्यों न? आज एक मात्र अग्रवाल समाज ही ऐसा समाज है जो तन, मन और धन से मानव समाज की सेवा करते आया है। चाहे धार्मिक हो या सामाजिक कार्य,हर क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाया है ऐसे में राजनैतिक पार्टियों द्वारा अग्र समाज के प्रति उदासीनता या अनदेखी निःसंदेह निंदनीय है।