
💥लगातार हो रहीं गुड़ी पंचायती में महिलाओं की बड़ी उपस्थिति।
💥”नी दन ग हमर जमीन ल” आदिवासियों की करुण आर्तनाद..
💥शासकीय मद की जमीनों पर भी अवैध कब्जे का आरोप..?
तहतक न्यूज/गुरुवार /03 अक्टूबर 2024/गेरवानी।
अपना, अपना होता है घर हो या जमीन हो या जायदाद हर किसी को उससे आत्मीय लगाव होता है। और जब पूर्वजों के जमाने की घर या जमीन की बात हो तब तो फिर बात कुछ ज्यादा ही भावनात्मक हो जाती है। हम बात कर रहे हैं उन आदिवासियों की जो बरसों से अपनी पुरखौती जमीन पर काबिज हैं और किसी भी कीमत पर उस जमीन को छोड़ना नहीं चाहते।


रायगढ़ जिले के अंतर्गत तमनार विकासखंड के ग्राम पंचायत गेरवानी का आश्रित गाँव है शिवपुरी। शिवपुरी, हरे-भरे खूबसूरत जंगल के बीच बसा पूर्णतया आदिवासी गाँव है। यहाँ के निवासी खेती-किसानी और वनोपज पर आधारित जीवन व्यतीत करते हैं। सीधे सरल और शांत जीवन जीने वाले इन आदिवासियों के गाँव के आस-पास कई लौह उद्योग स्थापित हैं जिससे वे काफी व्यथित हैं। इनकी मानें तो इन उद्योगों से हानि के सिवा इन्हें कुछ भी नहीं मिला। उद्योगों से फैल रहे प्रदूषण से जहाँ खेती-बाड़ी बुरी तरह से प्रभावित है तो वहीं वनोपज जैसे महुआ, चार, चिरौंजी, हर्रा, बहेरा, आँवला, तेन्दु आदि संग्रहण काफी कम हो गया है। भोले-भाले ग्रामीण आदिवासियों का आरोप है कि एन. आर. कंपनी अपने विस्तार के लिए यहाँ के जमीनों पर हमारी बिना सहमति के कब्जा कर रहा है। विरोध करने पर डांट-डपट कर धमकाया जाता है। इन्होंने स्थानीय प्रशासन के अलावा मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से भी न्याय की गुहार लगायी है किन्तु कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

आपको बता दें कि भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की अधिसूचना दिनाँक 14/09/2006 (यथा संसोधित) के तहत सर्व सम्बंधितों को एक सूचना जारी किया गया है जिसमें मेसर्स एन.आर. आयरन एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ग्राम पंचायत गेरवानी के आश्रित आदिवासी ग्राम शिवपुरी में एक वृहद उद्योग की स्थापना करने जा रहा है। इसकी लोक सुनवाई आगामी 23अक्टूबर को निश्चित की गयी है।
क्षेत्र के गावों की गलियों, चौक-चौराहों तथा पनघट से उड़ती खबर के अनुसार इस लोक सुनवाई को लेकर शिवपुरी के आदिवासी ग्रामीणों सहित आसपास के दर्जन भर गावों के लोगों के मन में विरोध की चिंगारी उठने लगी है। जन-आंदोलन की मशाल थामने, गुड़ी पंचायती का दौर शुरू हो गया है।
स्थानीय लोगों की मानें तो यह इलाका भयंकर प्रदूषण की चपेट में है। आसपास ऐसे कई उद्योग हैं जिनकी मनमानी से जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। चौबीस घंटे उड़ रहे खतरनाक फ्लाई ऐश से वातावरण में साँसे लेना मुश्किल हो गया है, लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। यहाँ की उपजाऊ जमीनें बंजर हो गयी हैं। किसानों की स्थिति दयनीय हो गयी है। क्षेत्र के कथित विकास के नाम पर केवल औद्योगिक घरानों का विकास हो रहा है और स्थानीय ग्राम वासियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। ऐसी स्थिति में एक और बड़े व भारी उद्योग की स्थापना से स्थानीय ग्रामवासी जी नहीं पाएंगे।