
💥बाकारूमा से लैलूंगा पहुंच मार्ग निर्माण कार्य में हो रही जमकर धांधली।
💥सालों बीत गये मगर पूरा नहीं हुआ अठारह माह का कार्यकाल
तहतक न्यूज/लैलूंगा:- पूरे छत्तीसगढ़ में खराब सड़कों की बात की जाय तो आम जनता के बीच में रायगढ़ जिले का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। हालांकि सरकार बदलते ही वर्तमान में कुछ सुधार देखने को मिल रही है किन्तु, देहात क्षेत्रों में अभी भी स्थिति जस के तस नजर आ रही है। करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी लोगों को सुरक्षित एवं पर्याप्त आवागमन की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की जहाँ लैलूंगा से बाकारुमा पहुँच मार्ग अभी तक बन कर तैयार नहीं हो पाया है और कई जगह से उखड़ना शुरू हो गया है। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा एडीबी प्रोजेक्ट के साथ मिलकर लाखों-करोड़ों रूपये कि लागत से इस सड़क मार्ग के निर्माण कार्य का शुरुआत किया गया था। रायगढ़ जिले में सड़कों के निर्माण में एडीबी की सहायता राशि से कार्य प्रस्तावित हुई थी जिसमें बाकारूमा-लैलूंगा रोड भी सम्मिलित था। इसका कार्यादेश 20 मार्च 2020 को जारी हुआ था, और कार्य को 18 महीने में पूरा करने का कार्य निर्धारित किया गया था। उपरोक्त कार्य की अनुमानित लागत लगभग सवा सौ करोड़ रुपये से भी अधिक की स्वीकृति बताई जा रही है जो कि कार्य को प्रारम्भ हुए साढ़े 4 वर्ष बीतने जा रहे हैं लेकिन 22 कि. मी. लम्बी यह सड़क अभी तक नहीं बन पायी। यह सड़क बनने के शुरुआती दौर से ही विवादों में घिरा हुआ है।

सड़क निर्माण कार्य में निम्न स्तर की गिट्टी व अन्य सामग्रियों का उपयोग किया गया है। पुल पुलिया निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार व कमियाँ इस सड़क के निर्माण में सामने आई हैं लेकिन, किसी भी मामले में शासन-प्रशासन की मॉनिटरिंग के अभाव में गुणवत्ता विहीन एवं घटिया निर्माण होने के कारण यह सड़क भ्रष्टाचार कि भेंट चढ़ गई। सड़क के बार-बार उखड़ने व थूक पालिश कर मरम्मत करने से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। इस सड़क निर्माण के कार्य में न तो लोक निर्माण विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के द्वारा सड़क निर्माण की गुणवक्ता पर ध्यान दिया जा रहा है। नौ दिन चले अढ़ाई कोस के तर्ज पर लैलूंगा से बाकारुमा के बीच लगभग 20 कि.मी. लम्बी सड़क बन कर तैयार हो चुकी है लेकिन, अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत व बंदरबाँट से निर्माणाधीन एक तरफ बनती जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ उखड़ती जा रही है। इस प्रकार करोड़ों रूपये की लागत से बनाई जा रही सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रही है। ना ही सरकार इस ओर ध्यान दे रही है, और ना ही एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारी कर्मचारी ध्यान दे रहे हैं। जन-प्रतिनिधियों की तो बात ही करना मूर्खता है। एक तरह से देखा जाये तो “अंधेर नगरी, चौपट राजा” वाली कहावत यहाँ चरितार्थ होती नज़र आ रही है । सलखिया स्थित जंगल जिसकी लम्बाई लगभग 3 कि.मी. के आसपास होगी जहाँ सड़क बने मात्र 2 महिने ही पूरे नहीं हुए होंगे और वहाँ की स्थिति किसी 10 साल पहले बनाये गए सड़क से भी बदतर हो गई है। ठेकेदार के लोगों के द्वारा हर 10 मीटर को उखाड़ कर नया बनाने और घटिया निर्माण कर थूक पॉलिश करने का काम बड़े ही चालाकी के साथ किया जा रहा है। अंदर तह तक की बात करें तो यह बात समझ से परे है कि इतनी बड़ी भारी भरकम राशि से बनने वाली इस सड़क के निर्माण में इतना घटिया तथा गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य का होना और पीडब्ल्यूडी विभाग की मौन स्वीकृति..? न कोई जाँच, ना कोई कार्यवाही..?आखिर क्या है राज..? यहाँ से नेता गुजर रहा है, विधायक गुजर रहा है, उच्चाधिकारी गुजर रहे हैं लेकिन, देख कोई नहीं रहा। काले शीशे चढ़े बन्द लक्जरी गाड़ियों में सफर करने वालों को दाएं-बाएं कहाँ दिखाई देता है? देखती और भुगतती तो आम जनता है, मतदाता है, देश का नागरिक है जिसके एक वोट की कीमत हर पाँच साल में मात्र एक दिन ही होती है।