तहतक न्यूज/रायगढ़। मानव आबादी की ओर हाथियों के बढ़ते कदम निश्चित ही एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। घने जंगलों में रहने वाले हाथियों का दल, अब आये दिन कहीं न कहीं मानव बस्ती अथवा उसके आस-पास विचरण करते नजर आ रहे हैं। अभी हाल ही में दो हाथी रायगढ़ के नगर वन, गजमार पहाड़ी और लारा एनटीपीसी के आस-पास देखे गये हैं। हालांकि इंसानों से सामना नहीं होने से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई किन्तु आज ही अल-सुबह धरमजयगढ़ वन मण्डल के छाल रेंज में कूड़ेकेला के एक ग्रामीण को हाथी ने अपने पैरों तले कुचल कर मार दिया। यहाँ बीते तीन सालों के दौरान हाथियों के हमले में आधे दर्जन से अधिक लोगों की अकाल मौतें हुई हैं। ऐसा नहीं है कि यहाँ हाथी मानव द्वन्द में केवल इंसानों की ही जानें गयी हैं वरन कई हाथियों की भी मौतें हुई हैं। इस प्रकार हाथियों और मनुष्यों के बीच द्वन्द युद्ध अनवरत जारी है। वन विभाग की निष्क्रियता से वनों की बेतहाशा कटाई, उद्योगों की स्थापना और सड़कों पर चौबीस घंटे वाहनों की आवाजाही से वन्य पशुओं का जीवन बाधित हो रहा है। पानी व चारे की तलाश में ये भटक कर शहरों या गाँवों के नजदीक पहुँच जाते हैं और इंसानों से सामना होते ही ये हिंसक और आक्रामक हो जाते हैं।
उपरोक्त घटनाक्रम के वास्तविक कारणों के तहतक जाकर देखें तो जो सच्चाई सामने निकल कर आ रही है उससे तो यही प्रतीत होता है कि यहाँ किसी को कोई चिंता नहीं है। सम्बंधित विभाग का कर्तव्य केवल आंकलन कर रिपोर्ट भेजने तक सीमित रह गया है। ठोस और कारगर उपाय करने की पहल कोई नहीं कर रहा। कहने को एक से बढ़ कर एक नेता, मंत्री व विधायक हैं लेकिन ये केवल मंचों तक ही शोभायमान हैं। भुगतना तो आम जनता को ही है।