
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
अडानी कंपनी की मनमानी और गुंडागर्दी को लेकर रायगढ़ जिले के पत्रकारों में काफी आक्रोश है, यही वजह है कि सभी पत्रकार आज शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर पत्रकारों से बदसलूकी और उन्हें जान से मारने की धमकी देने वाले अडानी के गुर्गों और उनके जिम्मेदार अधिकारियों को अति शीघ्र गिरफ्तार करने की माँग की गयी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने शीघ्र उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, वहीं सभी पत्रकारों ने यह भी निर्णय लिया कि अब से अडानी कंपनी का रायगढ़ के स्थानीय पत्रकार बहिष्कार करेंगे।

बता दें कि शुक्रवार शाम को प्रेस क्लब अध्यक्ष हेमंत थवाईत के नेतृत्व में 80 से अधिक पत्रकार पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल से मिलने पहुंचे। जहां उन्होंने एसपी को बताया कि 6 अगस्त बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर में महाजेनको कंपनी का पोस्टर लिए कुछ ग्रामीण गारे-पेलमा में खदान शुरू करने के समर्थन में रायगढ़ कलेक्टर से मिलने आए थे। कलेक्टर से चर्चा उपरांत जब वे मीडिया से बातचीत कर रहे थे इसी दौरान कुछ पत्रकार साथियों ने उनसे उनके विस्थापन के बारे में पूछा तो वे जवाब नहीं दे पाए। तभी उनके साथ वहां मौजूद कुछ दलालनुमा लोग जो खुद को अडानी कंपनी का कर्मचारी बता रहे थे चिढ़ गये और पत्रकारों के साथ बदतमीजी शुरू की। धैर्य रखते हुए पत्रकारों ने जब उनसे विस्थापन, फर्जी ग्रामसभा कर अनुमति के आरोप पर सवाल पूछा कि वह किस प्रयोजन से आए हैं तो उन्होंने पत्रकारों को गुंडा कहा और जान से मारने की धमकी तक दे डाली। इस पूरे वारदात की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। मौके पर मौजूद पुलिस बल के द्वारा मामले को शांत कराया गया, बाद में पत्रकार लौट ही रहे थे कि फिर अडानी कंपनी के गुर्गे तेवर दिखाते हुए पत्रकारों को धमकी देने लगे, जिसके बाद पत्रकारों ने इसकी लिखित शिकायत चक्रधर नगर थाने में की है। शिकायत के बाद भी अडानी कंपनी के गुर्गों द्वारा पत्रकारों को फोन करके राजीनामा और विभिन्न प्रकार के दबाव बना रहे हैं।

पत्रकारों ने एसपी से अनुरोध किया कि ग्रामीणों के भेष में आए अडानी कंपनी के एजेंट और कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी जो ग्रामीणों को भड़का कर पत्रकारों के विरुद्ध उकसा रहे थे, उनकी शिनाख्ती करते हुए तत्काल गिरफ्तारी करें व कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाने की बात कही। एसपी पटेल ने इत्मीनान से सभी की बातों को सुना और यथाशीघ्र उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

एसपी कार्यालय के बाहर सभी पत्रकारों ने एकमत यह निर्णय लिया कि अब से सभी स्थानीय पत्रकार अडानी कंपनी का बहिष्कार करेंगे। सभी अडानी कंपनी द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों का बहिष्कार करेंगे और उनकी किसी भी खबर को अपने मीडिया में स्थान नहीं देंगे। पत्रकारों में इस बात का भी रोष है कि घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अडानी कंपनी के गुर्गों के हौसले बुलंद हैं और अडानी प्रबंधन घमंड में चूर है।
रायगढ़ प्रेस क्लब अध्यक्ष हेमंत थवाईत ने कहा कि अडानी कंपनी के गुर्गे और स्थानीय प्रबंधन पर जब तक कार्रवाई नहीं होती रायगढ़ के स्थानीय पत्रकार और रायगढ़ प्रेस क्लब उनका बहिष्कार करेगा।

यहाँ बताना लाजिमी होगा कि घटना के दूसरे दिन भी तमनार के 9 गांव के प्रतिनिधि शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचे और पहले कलेक्टर और फिर पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की। ग्रामीणों से उन्हें यह बताया कि जिस ग्राम सभा के आधार पर अदानी कंपनी गारे पेलमा में खदान खोलने के लिए जंगलों को काट रही है वह सभा पूरी तरह से फर्जी है। ग्रामीणों के साथ वे लोग भी आए हुए थे जिनके नाम से फर्जी ग्राम सभा हुई थी और उन्होंने एक शपथ पत्र भी साथ लाया था जिसमें लिखा था कि उनके नाम से कूटरचित दस्तावेज बनाकर ग्राम सभा की गई जिसे तुरंत निरस्त किया जाए। ग्रामीणों ने आगे यह भी बताया कि 6 अगस्त को कलेक्टर कार्यालय के बाहर जो लोग पत्रकारों से उलझ रहे थे उन्हें गुंडा कहा और जान से मारने की धमकी दे रहे थे वे हमारे किसी गांव से नहीं है। ये सभी अडानी कंपनी के दलाल और गुंडे हैं जो ग्रामीणों की आड़ में पूरे गांवों को बदनाम कर रहे हैं। किसी का घर उजड़ रहा है तो किसी का खेत, ऐसे में कोई कैसे ऐसा होने देगा। जो समर्थन में आए थे हमारा मजाक बना रहे हैं। कलेक्टर और एसपी के आश्वास के बाद ग्रामीण लौट गए।
इसी तरह प्रभावित ग्राम वासी लगातार कलेक्टर एवं एसपी के दफ्तर पहुँच रहे हैं और अडानी के खिलाफ अपनी-अपनी बात रख विरोध दर्ज करा रहे हैं। आज भी तमनार क्षेत्र के ग्रामीण एसपी कार्यालय आकर अडानी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है।
जिले में चल रहे इस प्रकार के घटनाक्रम में तह तक जाकर देखें तो संस्कारों की नगरी रायगढ़ की पावन धरती को बाहर की आयी कम्पनियाँ न केवल बर्बाद कर रही हैं, अपितु मनमानी व गुंडागर्दी कर यहाँ के सद्भावपूर्ण वातावरण को खराब करने पर तुले हुई हैं। रायगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ किसी औद्योगिक समूह ने पंगा लिया है। क्या उसे नहीं पता कि कलम की ताकत इतनी बड़ी होती है कि उसके आगे तलवार की पैनी धार भी कमजोर पड़ जाती है।
फिलहाल, रायगढ़ के कलमकारों के कलम अपने म्यान से बाहर निकल चुके हैं और अब स्याही की रंगत देख ऊँट किस ओर करवट बदलता है देखना दिलचस्प होगा।