
तहतक न्यूज/रायगढ़।
कहते हैं लालच बुरी बला है लेकिन इतनी खूबसूरत है कि माया के लोभ में बड़े-बड़े धनकुबेर खुली हवा में साँस लेने के बजाय भले ही ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर चलने को तैयार हैं मगर धन कमाने पर्यावरण को दाँव पर जरूर लगाएंगे। बात कर रहे हैं रायगढ़ जिले के पर्यावरण की, जहाँ प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब और उद्योग लगाना संभव नहीं है फिर भी उद्योगों की स्थापना और विस्तार हो रहा है।आने वाले समय में यहाँ की हालत. इतनी गंभीर हो जाएगी कि स्थानीय लोग कीड़े-मकोड़ों की मौत मरेंगे। रायगढ़ कभी हरे-भरे जंगलों से घिरा शुद्ध प्राकृतिक वातावरण से भरपूर हुआ करता था लेकिन विकास के नाम पर अब यहाँ चारों तरफ जहरीले धुंवे के गुबार नजर आते हैं।

यहां की धरती कालिख में तब्दील होती जा रही है बावजूद इसके सरकार प्रदूषणकारी उद्योगों को जगह देने हरे भरे जंगलों को तबाह करने पर आमादा है। केलो नदी जो कभी अल्हड़ बाला सी बारहों मास उछलती-कूदती रायगढ़ की जीवन रेखा कहलाती थी, परन्तु अब विधवा की सुनी माँग की तरह सफेद नजर आती है।
ये कैसी विडंबना है कि केलो को तार-तार करने एक और ऐसा उद्योग इंतजार में है जिसका नाम ही केलो स्टील एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड है। जी हाँ, इस प्लांट को स्थापित करने के लिए जनसुनवाई 15 मई को रखी गई है जो तमनार के बरपाली में स्थापित होगी। फिर वही फर्जी ईआईए रिपोर्ट का सहारा, समर्थन जुटाने, चंद हरे नोट और मदमाते महूए की पेशकश और कंपनी तथा सरकार के नुमाइंदों की एड़ी चोटी का जोर अंत में लोक सुनवाई संपन्न हो जाएगी।