
💥 लोन दिलाने के नाम पर बीडीसी ने हड़पी लाखों की रकम।
💥हितग्राहियों को मिली ही नहीं लोन की राशि और वसूलने पहुँचे बैंक अधिकारी
💥” किडनी बेचो या जहर खाओ ” राशि वसूलने बैंक दे रहा धमकी।
💥लाखों की धोखाधड़ी में बैंक की भूमिका संदेहास्पद?
तहतक न्यूज/सीपत।
मोहिनी रूपी भ्रष्टाचार और अपराध का महत्व इस कदर बढ़ रहा है कि इसकी खूबसूरती और मायाजाल के आगे शराफत भी नतमस्तक नजर आने लगी है। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे जन प्रतिनिधि की, जिस पर जनता आँखें मुँद कर विश्वास किया करती थी लेकिन, मोहिनी के मोहपाश में पड़ कर वह अपने ही लोगों से विश्वासघात कर बैठा। ग्रामीणों को लोन दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले पूर्व जनपद सदस्य प्रमिल दास मानिकपुरी और उसकी पत्नी रंजना मानिकपुरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ग्रामीणों को गुमराह कर बोर खनन, नाली निर्माण, सीसी रोड और तालाब निर्माण के लिए बैंक से लोन पास कराया और रकम हड़प कर दोनों पति-पत्नी फरार हो गए।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम पौड़ी निवासी प्रमिल दास और रंजना ने आसपास के गांवों की 400 से ज्यादा महिलाओं को झांसे में लेकर लोन दिलाने के नाम पर उनके दस्तावेज लिए और बैंक से कर्ज पास करवा कर सारी रकम स्वयं ले लिया और गांव छोड़कर भाग गए। जब बैंक अधिकारी लोन वसूली के लिए पहुंचे, तब महिलाओं को ठगी का एहसास हुआ। बैंक द्वारा लगातार किस्त चुकाने का दबाव बनाया जा रहा है नहीं चुकाने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी जा रही है। परेशान महिलाओं ने पहले सीपत थाने में शिकायत की। कार्रवाई न होते देख कलेक्टर कार्यालय पहुंचीं।
सीपत पुलिस ने दोनों पति -पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की मानें तो ग्राम पोंड़ी की गायत्री सूर्यवंशी सहित कई महिलाओं को प्रमिल दास और रंजना ने ठगा। सरकारी निर्माण कार्यों के नाम पर बैंकों से 51 लाख 87 हजार रुपए का लोन लिया। रकम खुद के उपयोग में ली और फरार हो गए। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से ठगी की रकम से खरीदी गई संपत्ति जब्त की है जिसमें बाइक, कार, टीवी, आईफोन के अलावा 30 एटीएम कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड की छायाप्रति, मतदाता पहचान पत्र, बैंक पासबुक और लोन संबंधी दस्तावेज भी शामिल हैं।
बात तह तक की करें तो महिलाएं खास कर ग्रामीण महिलाएं सीधी-सादी और भीरू स्वभाव होने के कारण अक्सर ठगी के शिकार होती आयी हैं, ऐसे में जब जनता द्वारा चुना गया जनपद सदस्य ही ऐसा कृत्य करे तो इन महिलाओं का क्या दोष है? बैंक वालों को भी इस बात को समझना चाहिए और इन पर अनर्गल दबाव बनाने के बजाय न्यायसंगत कार्यवाही करनी चाहिए। इस मामले में कहीं न कहीं बैंक भी दोषी है, सवाल उठता है कि लोन की राशि हितग्राहियों के खाते में न देकर आरोपी के हाथ में कैसे दे दिया गया? इस भ्रष्टाचार में बैंक की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।
मीना बाई धीवर ने बताया कि उसके नाम पर तीन लोन 1 लाख, 45 हजार और 40 हजार रुपए निकाले गये हैं वहीं, शीला मानिकपुरी के नाम पर 1 लाख, 70 हजार, 50 हजार और 15 हजार रूपये निकाला गया है। इसी प्रकार गांव की 400 महिलाएं इस ठगी का शिकार हो चुकी हैं। दीप मानिकपुरी ने बताया कि उसके नाम से 55 हजार और 40 हजार रुपए का लोन लिया गया। अब बैंक अधिकारी गाली-गलौज कर रहे हैं और कह रहे हैं कि किडनी बेचो या जहर खा लो। गौतराम साहू के खेत के दस्तावेजों पर 1.5 लाख रुपए का लोन लिया गया है और कागजात भी हड़प लिए गए हैं।