💥15 दिनों से बंद थे 40 मवेशी, नहीं दिया गया चारा पानी।
💥भूख और प्यास से तड़प-तड़प कर हुई गायों की मौत।
💥कहाँ जाती है गौमाताओं के संरक्षण के लिए मिलने वाली अनुदान राशि?
💥गौठान और गौधाम के बीच पेंडुलम बना गौवंश।
तहतक न्यूज/दुर्ग।
जिले के गौठान में भूख-प्यास से 13 से अधिक गायों की मौत हो जाने की दुःखद खबर आयी है। बताया जा रहा है कि, सरपंच ने फसल बचाने के लिए 15 दिन पहले करीब 40 आवारा मवेशियों को गौठान में बंद करा दिया था और उन्हें चारा पानी नहीं दिया गया जिससे निरीह पशुओं की भूख-प्यास से तड़प-तड़प कर मौत हो गयी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दुर्ग जिले के नंदिनी थाना क्षेत्र के अहिरवारा के ग्राम गोढ़ी के गौठान में एक दर्जन से अधिक गायों की भूख और प्यास से मौत हो गयी है। घटना की जानकारी लगने के बाद गौ सेवकों ने भारी हंगामा मचाते हुए सरपंच पर एफ. आई. आर.पर दर्ज कर एक्शन लेने की मांग की है। जनपद सीईओ ने मवेशियों का पीएम कराया है और आशंका जताते हुए कहा है कि, मवेशियों की मौत निमोनिया से हुई है।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ सीएम विष्णु देव साय ने राज्य गौ सेवा आयोग के नव नियुक्त अध्यक्ष विशेषर सिंह पटेल के पदभार ग्रहण के अवसर पर समारोह को गौमाता के संरक्षण व संवर्धन के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने की बात कही थी। गौमाता को समृद्धि का प्रतीक मानते हुए गौमाता के लिए अनुदान राशि 25 रु. से बढ़ा कर 35 रु. देने की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा जगह-जगह गौधाम बनाये जाने का निर्णय भी लिया गया है किन्तु दुर्ग के एक गौठान में भूख और प्यास से हुई गायों की मौत ने पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। मवेशियों पर हुए क्रूरतापूर्ण व्यवहार से पशु पालकों में जहाँ जबरदस्त आक्रोश है वहीं आम जन मानस "गौठान" और "गौधाम" योजना के भंवर जाल में उलझे नजर आ रहे हैं।