
💥रायगढ़-घरघोड़ा मुख्य मार्ग पर ट्रक और पिकअप में हुई जबरदस्त टक्कर
💥मुर्गियों से भरे पिकअप के उड़े परखच्चे, ड्राइवर और खलासी समेत सैकड़ों मुर्गियों की मौत
तहतक न्यूज/रायगढ़।
सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने ओवरलोड, ड्रिंक एंड ड्राइव, तीन सवारी, लाइसेंस, हेलमेट और मॉडिफाई साइलेंसर को लेकर पुलिस और यातायात विभाग ने अब तक करोड़ों रुपयों के चालान काट डाले लेकिन ये मुआ दुर्घटना इतनी बेशर्म हो गयी है कि टलने का नाम ही नहीं ले रही है। रायगढ़-घरघोड़ा राजमार्ग में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहाँ आये दिन ही नहीं प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। भारी ट्रैफिक दबाव के चलते सड़क इतनी मनहूस हो गयी है कि एम्बुलेंस तक इसकी चपेट में आकर पनाह माँग रहे हैं।मरीज और परिजन भी अब एम्बुलेंस के ऊपर भरोसा करना छोड़ दिये हैं।
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आपको बता दें कि रायगढ़ शहर से दस किमी. दूर ग्राम लाखा स्थित मित्तल हार्डवेयर के ठीक सामने बीती रात लगभग सवा नौ साढ़े नौ बजे के बीच एक ऐसी जबरदस्त और भयानक दुर्घटना हुई जिसे देख कर आपकी रूह काँप जाएगी। घरघोड़ा की ओर से आ रही एक तेज रफ्तार ट्रक ने सामने से अपने साइड पर आ रही मुर्गियों से लदी पिकअप को रौन्दते हुए करीब सौ मीटर तक घसीटते हुए ले गयी और एक छोटी पुलिया के कंक्रीट रेलिंग को तोड़ते हुए पलट गयी। ट्रक चालक तो किसी तरह बच कर भाग निकला किन्तु जहाँ पिकअप चालक और उसमें सवार एक व्यक्ति क्षत-विक्षत लाश के रूप में तब्दील हो गये तो वहीं पिकअप की जाली में बंद सैकड़ों मुर्गियाँ भी एक झटके में कुचल कर मर गयीं।
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टक्कर इतनी जोरदार थी कि पलक झपकते ही पिकअप के कई टुकड़े हो गये। इंजन, बॉडी, चक्के और चेसिस अलग-अलग छितरा गये। डाले में लगा मुर्गी जाली का ऊपर का हिस्सा तो टकराते ही छिटक कर रोड के दूसरी तरफ दूर जा गिरा।
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शासन-प्रशासन लाख दावे करे, सड़क सुरक्षा सप्ताह की जगह सड़क सुरक्षा वर्ष पूरे साल भर मनाये, ओवर स्पीड, ड्रिंक एंड ड्राइव, सीट बेल्ट, तीन सवारी, बिना हेलमेट, मॉडिफाई साइलेंसर इत्यादि पर कार्यवाही करे फिर भी दुर्घटनाओं और मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है आखिर क्यों ? देखा गया है कि उर्दना और पूँजीपथरा के बीच होने वाले दुर्घटनाओं में अक्सर बाहर से आने वाली वाहनें ही ज्यादा चपेट में आती हैं लोकल गाड़ियाँ बहुत कम दुर्घटना ग्रस्त होती हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि बाहर से आने वाले वाहन चालक जो कभी-कभार आते हैं उनको यहाँ की सड़क की स्थिति का भान नहीं होता और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि रायगढ़-घरघोड़ा मार्ग में अपवाद स्वरुप दो-चार को छोड़ दें तो वाहन चालकों के लिए संकेतक बोर्ड या सूचना अथवा चेतावनी कहीं नहीं देखने को मिलेगा। इसी घटना स्थल की ही बात करें तो यहाँ पर इतना खतरनाक और अंधा मोड़ है कि कुछ समझ में नहीं आता लेकिन जिले के अनुभवी इंजिनियरों को यह दिखाई नहीं देता।
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इसी तरह केलो डेम और चिराईपानी के बीच पहाड़ किनारे ठीक मोड़ के पास पुलिया है जिसका रेलिंग टूटे साल गुजर गये लेकिन सम्बंधित विभाग के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही। ढाल और खतरनाक मोड़ के साथ रेलिंग नहीं दिखने के कारण नये आगंतुक पुल को समझ नहीं पाते और जब तक समझ पाते तबतक उनका वाहन नाले में पहुँच चुका होता है।
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इस मार्ग में लगातार हो रहे सड़क हादसों और मौतों के कारणों की तह तक जाकर देखें तो जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे यही प्रतीत होता है कि यातायात नियमों के पालन में जहाँ लापरवाही बरती जा रही है तो वहीं जिम्मेदार अधिकारी, जन प्रतिनिधि,नेता और मंत्री अपने कर्त्तव्यों से तटस्थ नजर आ रहे हैं। सड़कों की बेतरतीब मरम्मत, अनफिट वाहन, संकेतक बोर्ड का अभाव, अहातों और ढाबों से नशापान कर तेज रफ्तार वाहन चालन जैसे हरकतों पर जब तक दृढ़ता पूर्वक नियंत्रण नहीं होगा, सड़क दुर्घटनाओं पर काबू नहीं पाया जा सकता।
