💥आदमखोर भेड़ियों से थर्राया उत्तरप्रदेश, नौ जिलों में खूंखार भेड़ियों का आतंक …?
💥घर घुस कर उठा ले जा रहे आदमखोर, नौ बच्चों समेत एक महिला की हुई मौत..!
💥छह भेड़ियों में चार हुए पिंजरे में कैद, दो मचा रहे आतंक।
💥सीएम के सख्त निर्देश, पकड़ में नहीं आते तो मारो गोली..!
💥150 गांवों में चल रही सर्चिंग, दो भेड़िये, दो सौ सिपाही और 18 शार्प शूटर..!
तहतक न्यूज/शुक्रवार/06सितम्बर 2024/बहराइच।
हम भले ही आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त शांत और सुरक्षित जीवन जीने का आडम्बर करते हैं परन्तु आज भी प्राचीन काल की तरह जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच द्वन्द युद्ध जारी है और दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में हो रहे ऐसे ही घटनाओं में इधर छत्तीसगढ़ में हाथी मानव द्वन्द जारी है तो उधर यूपी में बाघ और भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है।
बहराइच में बीते मार्च महीने से अब तक आदमखोर भेड़ियों के हमले में नौ बच्चों समेत एक महिला की जान चली गयी है। बताया जा रहा है कि बहराइच के आस-पास घूम रहे भेड़ियों के हौसले इतने बढ़ गये हैं कि रात दस बजे के बाद घरों में घुस कर माँ के साथ सो रहे बच्चों को उठा ले जा रहे हैं और अपना निवाला बना रहे हैं।
पीलीभीत, सीतापुर और हस्तिनापुर में इनके मूवमेंट ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। ये इतने शातिर और चालाक हैं कि इनको पकड़ने में वन विभाग के पसीने छूट रहे हैं। छह भेड़ियों के झुण्ड के चार सदस्यों को पकड़ लिया गया है किन्तु दो भेड़िये अभी भी आतंक मचा रहे हैं। उत्तरप्रदेश सरकार ने इन दोनों खूंखार आदमखोरों को पकड़ने के सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि पकड़ में नहीं आते तो इन्हें गोली मार दिया जाय। इन दोनों आदमखोरों की तलाश में दो सौ सिपाही और अठारह शार्प शूटर लगाये गये हैं जिनकी 150 गांवों में सर्चिंग चल रही है। जानकारी के अनुसार एहतियात के तौर पर जिन घरों में दरवाजे नहीं हैं वहाँ शासन की तरफ से दरवाजे लगाये जा रहे हैं ताकि भेड़िए घरों में न घुस सकें। ग्रामीण भी लाठी डंडे लेकर रात-रात भर जाग कर आदमखोर भेड़ियों की तलाश में जुटे हुए हैं।
वन्य जीव विशेषज्ञ एवं दुधवा टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक की माने तो भेड़िया बेहद शर्मीला जानवर होता है, इंसान को देखते ही इतनी तेजी से भागता है कि इनकी फोटोग्राफी करना भी आसान नहीं होता। यह झुण्ड में रहता है शिकार के दौरान कोई एक सदस्य बिछड़ जाय तो बाकि सदस्य उसे खोजने तक शिकार को छूते तक नहीं। ये इंसानों पर तभी हमला करते हैं जब बाढ़ में इनके मांद में पानी भर जाने या अन्य कारणवश प्राकृतिक आवास खोना पड़ता है। इस दरमियान कोई इंसानी बच्चा सामने पड़ जाता है तो ये उसे शिकार बना लेते हैं और इंसानी मांस चखने के बाद इनकी प्रवृत्ति बढ़ जाती है। अगर कोई इनके साथी को मार देता है तो भी उसके अंदर बदले की भावना घर कर जाती है और वे हमलावर हो जाते हैं।
वन्य जीव विशेषज्ञ बताते हैं कि आमतौर पर देखा गया है कि झुण्ड का कोई सदस्य इंसान के बच्चे पर हमला कर उसका मांस खाता है और बाद में उसे उल्टी कर अपने बच्चों के खाने के लिए निकाल देता है। इस तरह से झुण्ड के सदस्यों को इंसानी मांस खाने का चस्का लग जाता है। यही आदमखोर प्रवृति इंसानों के लिए खतरा बन जाती है। भेड़िये इतने सामाजिक प्राणी होते हैं कि ये अपने सहगामी की रक्षा के लिए अपनी जान तक दे देते हैं।
झकझोर कर रख देने वाली इस घटना के तह तक जाकर चिंतन करें तो वन्य जीव जो हिंसक पशु की श्रेणी में आते हैं, बाधित होने पर और ज्यादा खूंखार व आक्रामक हो जाते हैं यही वजह है कि इंसानों से दूरी बनाये रखने वाले ये जानवर बदले की भावना में इंसानों को ही अपना शिकार बनाते हैं। बढ़ती जनसंख्या और विकास की अंधी दौड़ में शामिल कथित सभ्य मानव जाति जंगलों का सफाया कर जहाँ वन्य जीवों को बाधित कर रही है तो वहीं जान गंवा कर उसका खामियाजा भी भुगत रही है।