
💥 गर्भवती महिला को दिए गए सिरप में निकला मांस जैसा टुकड़ा।
💥 स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवाल।
तहतक न्यूज/रायपुर, छत्तीसगढ़।
देश में भ्रष्टाचार तो चरम सीमा पर है ही, लापरवाही उससे कहीं दो कदम आगे चल रही है। चिकित्सा एवं दवाइयों जैसे अतिमहत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में भारी लापरवाही की जो तस्वीर सामने आयी है, उससे लोगों में हैरानी, घृणा, अविश्वास और भय का माहौल है। जी हाँ, राजधानी के देवपुरी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आठ माह की गर्भवती महिला को दिए गए सिरप में मांस जैसा संदिग्ध टुकड़ा मिलने का मामला सामने आया है। कमल विहार सेक्टर-5 निवासी देविका साहू द्वारा इसकी शिकायत दर्ज कराई गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देविका साहू आठ महीने की गर्भवती है और शुरू से ही देवपुरी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार ले रही थी। 14 नवंबर को अस्पताल की ओर से उन्हें दो बोतल कैल्शियम सिरप दिया गया था। शनिवार 06 दिसंबर को जब देविका के पति कृष्णा साहू ने बोतल खोलकर देखा, तो अंदर मांस जैसी वस्तु दिखाई दी। घबराया हुआ कृष्णा बोतल लेकर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पहुँचा और संबंधित कर्मचारी को इसकी जानकारी दी।
कृष्णा साहू ने इस पूरे मामले की लिखित शिकायत खंड चिकित्सा अधिकारी, देवपुरी को सौंपी है। शिकायत में यह भी उल्लेख है कि जांच के दौरान कर्मचारी ने भी बोतल में संदिग्ध मांस जैसी वस्तु की मौजूदगी स्वीकार की। शिकायतकर्ता ने सिरप की फारेंसिक जांच करवाने, दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई करने और दवा आपूर्ति प्रणाली की विस्तृत जांच की मांग की है।
परिवार का कहना है कि गर्भवती महिला को पहले टेबलेट दिया जाता था, लेकिन 14 नवंबर को उसे सिरप दिया गया। कृष्णा साहू ने अपनी शिकायत में सिरप की छायाप्रति और फोटो भी संलग्न किए हैं। घटना के बाद क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित मामलों में तह तक जाकर देखें तो गरीबों के मुफ्त इलाज के नाम पर सरकारी अस्पतालों में जमकर भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही का बोलबाला है। मरीज और परिजन भय व मजबूरी में कुछ बोल नहीं पाते। ग्रामीण क्षेत्रों से आये लोगों को तो स्वास्थ्य सेवा कम, डांट और उलाहना ज्यादा मिलती है। सरकार आम जनता के स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करती है, लेकिन इसका लाभ जनता को नहीं मिल रहा है। जिस तरह से दवा कम्पनियाँ शासकीय अस्पतालों को दवा सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपना रही हैं, बेहद ही चिन्ताजनक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता की नियमित रूप से जांच होनी चाहिए और गलत पाए जाने पर दोषियों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
