
तहतक न्यूज/धरमजयगढ़।
कहते हैं लोकतंत्र में जनता का राज होता है लेकिन यह बातें केवल किताबों में ही शोभायमान है, जमीनी हकीकत तो कुछ और ही नजर आ रही है। बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ विकास खण्ड के भालूपखना गांव में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना में चल रहे विवाद की, जहाँ गाँव का मुखिया भ्रष्टतंत्र के आगे असहाय, लाचार, शक्तिहीन और दहशत में रात की नींद तथा दिन का चैन गवां बैठा है।
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार नव निर्वाचित जनपद अध्यक्ष लीनव राठिया भालूपखना गांव पहुंचकर मामले की जानकारी ली। उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल 2025 को चिड़ोडीह ग्राम पंचायत के सरपंच पति द्वारा नायब तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय के खिलाफ पुलिस चौकी रैरूमाखुर्द में लिखित आवेदन दिया था कि नायब तहसीलदार द्वारा अभद्र व्यवहार करते हुए उसे सरपंच पद से हटा देने की धमकी दी गयी है। सरपंच पति के आवेदन देने के बाद धनवादा कंपनी द्वारा भी धरमजयगढ़ पुलिस थाना में एक लिखित आवेदन देकर सरपंच पति और एक युवक पर कार्यवाही की मांग की गयी थी। एक जनप्रतिनिधि को पद से हटाने की धमकी की जानकारी समाचार के माध्यम से पता चलने पर जनपद अध्यक्ष लीनव राठिया सरपंच पति से मिलने पहुंचे तो सरपंच पति ने बताया कि धनवादा कंपनी द्वारा पट्टे की जमीन और दो-तीन खेतों में मलबा डाल दिया गया था और नदी में भी जहाँ गाँव के लोग आम निस्तारी के लिए जाते थे वहाँ भी पत्थर से पाट दिया गया है। मलबा हटाने, हेंडपम्प में बोरपम्प लगाने तथा मुआवजे की माँग की थी लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए हम गाँव वाले काम बंद करा दिये जिसे लेकर तहसीलदार द्वारा मुझे मोबाईल पर अभद्रतापूर्ण डांट-डपट करते हुए पद से हटाने की धमकी दी गयी थी।

चूँकि अब मामला खत्म हो चुका है और दोनों पक्ष अपना-अपना शिकायत वापस ले लिए हैं लेकिन सवाल उठता है कि जन समस्याओं का निराकरण और न्याय करने के बजाय जनहित के लिए उठाये गये आवाज को दबाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? सरपंच, आम जनता का चुना हुआ ग्राम का मुखिया होता है। उसके बिना शासन का भी कोई कार्य नहीं होता, ऐसे में तहसीलदार और धनवादा कंपनी द्वारा सरपंच के ऊपर दबाव डाल मनमानी करना निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है। ये कैसी विडंबना है कि जहाँ छत्तीसगढ़ सरकार सुशासन तिहार मना रही है, जनता से उनकी माँग और शिकायत पूछे जा रहे हैं वहीं विभागीय अधिकारी और रसूखदार कंपनियाँ जन प्रतिनिधियों पर रौब जमा रहे हैं।
फिलहाल जनपद अध्यक्ष द्वारा इस मामले पर संज्ञान लेने से जहाँ जनता में न्याय की आस बँधी है वहीं जनप्रतिनिधियों को भी राहत की साँस लेनी चाहिए। संभवतः सरपंच संघ इसे गंभीरता से ले।