
तहतक न्यूज/जांजगीर-चाम्पा।
प्रति वर्षानुसार रंगपंचमी के दिन कलेश्वर नाथ महादेव के बारात की बड़े ही धूमधाम और बाजे-गाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकली। चाँदी की पालकी में सवार भगवान शंकर के इस विहंगम दृश्य की झलक देखने लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

छत्तीसगढ़ के जिला जांजगीर-चाम्पा के ग्राम पंचायत पीथमपुर में हसदेव नदी के दक्षिणी तट पर एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसे कलेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। पीथमपुर एक पौराणिक नगरी है। ऐसी जनश्रुति है कि कलेश्वर नाथ की फाल्गुन पूर्णिमा को पूजा-अर्चना और अभिषेक करने से वंश की अवश्य वृद्धि होती है। यहाँ आज भी अनेक दंपत्ति पुत्र कामना लिए आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर अगले वर्ष जमीन पर लोटते हुए दर्शन करने आते हैं।

उल्लेखनीय है कि यह प्राचीन मंदिर सवा सौ साल से अधिक पुरानी है। प्रारम्भ में यहाँ का मेला फाल्गुन पूर्णिमा से चैत्र पंचमी तक ही लगता था, आगे चल कर मेले का विस्तार हुआ और यह पंद्रह दिनों तक लगने लगा। मेले में नागा साधु प्रयागराज, हरिद्वार, बनारस, नासिक, ऋषिकेश, अमरकंटक, उज्जैन और नेपाल आदि अनेक स्थानों से आने लगे। इनकी उपस्थिति में पंचमी के दिन कलेश्वर महादेव के बारात की शोभायात्रा निकाली जाती थी। यह परंपरा आज भी जारी है।

चाँदी की पालकी में सवार कलेश्वर नाथ के दर्शन करने व भव्य शोभायात्रा में शामिल होने दूर-दूर से श्रद्धालु गण बड़ी संख्या में आते हैं। भीड़ इतनी अधिक होती है कि मंदिर प्रांगण में पाँव तक रखने की जगह नहीं मिलती। यहाँ महाशिवरात्रि के अवसर पर भी भक्तों की भारी भीड़ होती है।
